SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1033

अब छोटे गांव हैं बड़ा बाजार

खपरैल व को-पक्के मकान वाले गांव आज ब.डे बाजार बन गये हैं. तमाम देसी-विदेशी कंपनियां अब अपने उत्पादों की बिक्री व नये ग्राहकों की तलाश में गांव की ओर रुख कर रही हैं. एक अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में देश की दो तिहाई कंपनियां गांव में अपने व्यापार को विस्तार देने की कोशिश में जुटी हैं. इनमें छोटे घरेलू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों से लेकर दोपहिया व चार पहिया वाहन बनाने...

More »

पारदर्शिता का पैमाना और पार्टियां- शीतला सिंह

जनसत्ता 11 जून, 2013: केंद्रीय सूचना आयोग ने अपने एक फैसले में राजनीतिक दलों को सूचना आयोग कानून के तहत जवाबदेह माना है। आयोग की पूर्णपीठ ने राजनीतिक दलों का यह तर्क नहीं स्वीकार किया कि वे सरकारी सहायता से चलने, उनसे अनुदान प्राप्त करने वाले संगठन नहीं हैं इसलिए वे इस कानून से मुक्त हैं। केंद्रीय सूचना आयोग का मानना है कि वे केंद्र सरकार की ओर से परोक्ष...

More »

अमेरिका में जीएम गेहूं के खुलासे से एशिया में हड़कंप

गंभीर मसला - अमेरिका के ओरेगोन में उगाई जा रही है प्रतिबंधित जीएम किस्म खाद्यान्न पर संकट अमेरिका है दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं सप्लायर एशियाई देश खरीदते हैं वैश्विक व्यापार का तिहाई गेहूं कई वर्षों पूर्व मोनसेंटो की विकसित किस्म को मंजूरी नहीं फिर भी ओरेगोन में इस जीएम किस्म की खेती हो रही यूएसडीए इस गेहूं की सप्लाई होने से किया इंकार विस्फोटक खुलासे के बाद जापान ने आयात रोका, फिलीपींस, चीन व दक्षिण...

More »

भारतीय अर्थव्यवस्था खस्ताहाल: दस साल के सबसे निचले स्तर पर

वित्तीय वर्ष 2012-2013 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च तिमाही) में भारत की जीडीपी ग्रोथ 4.8 फीसदी रही है। वित्त वर्ष 2012 की जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.1 पर्सेंट रही थी। जबकि वित्त वर्ष 2012-2013 की तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.7 पर्सेंट रही थी। वित्त वर्ष 2013 की बात करें तो भारत की जीडीपी ग्रोथ घटकर 5 पर्सेंट हो गई है, जो वित्त वर्ष 2012 में 6.2 पर्सेंट थी। प्रधानमंत्री...

More »

दंडकारण्य का दावानल- कनक तिवारी

जनसत्ता 29 मई, 2013: सुकमा से राष्ट्रीय शोक का एक मर्मांतक ज्वालामुखी पैदा हुआ है। कांग्रेस के काफिले पर नक्सलियों ने घात लगाकर अंधाधुंध फायरिंग की। उसमें पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं समेत करीब तीस लोग मारे गए। बस्तरिहा घाटियों में माओवादियों द्वारा यह पहला नरसंहार नहीं था। माओवादी वर्षों से अपनी क्रूरता के घिनौने कारनामे अंजाम दे रहे हैं। ताजा हमला विशेष मायने रखता है। कांग्रेसी राजनीतिकों का काफिला...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close