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झारखंड की अखंड लूट-विनोद कुमार

जनसत्ता 15 नवंबर, 2013 : तेरह साल पहले झारखंड राज्य का गठन हुआ था। झारखंड आंदोलन की काट में वनांचल आंदोलन खड़ा करने वाली भाजपा ने झारखंड राज्य का गठन क्यों किया, इसको लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि अविभाजित बिहार की सत्ता पर काबिज होने की कोशिशों में विफल होने के बाद भाजपा ने अपने प्रभाव वाले इलाके की सत्ता पर काबिज होने की मंशा...

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न्याय की नई मरीचिका- विकास नारायण राय

जनसत्ता 7 नवंबर, 2013 : स्त्रियों के उत्पीड़न का एक और क्षेत्र कानून की गिरफ्त में आने को है। पुरुष वर्चस्व के नजरिए से बेहद नाजुक ‘इज्जत’ के नाम पर होने वाली हत्या का मसला फिलहाल उच्चतम न्यायालय के रडार पर है। अगर यौनिक हिंसा, लैंगिक उत्पीड़न का सर्वाधिक अपमानजनक रूप रही है तो ‘इज्जत’ हत्याएं इसका सर्वाधिक बर्बर रूप होती हैं। इसी तरह, घरेलू हिंसा में स्त्री का दासत्व...

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सूचना के अधिकार के सात साल- एक जायजा प्रगति का..

आजादी के बाद से अबतक शासन को पारदर्शी बनाने के लिए जो प्रयास हुए उसमें सूचना का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण कदम है। बहरहाल, इस कानून की उल्लेखनी सफलता महज 0.3 फीसदी भारतीयों तक सीमित है। देश की आबादी में बस इतनी ही तादाद सूचना के अधिकार के तहज अर्जी डालती है। सोचिए, उस स्थिति में क्या होगा जब देश की एक या दो फीसदी आबादी अपने शासकों की जवाबदारी तय करने के लिए आरटीआई...

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अब हिमाचल में सस्ती ही बेचनी होंगी सैकड़ों दवाएं

हिमाचल में फार्मा कंपनियों और दवा विक्रेताओं को महंगी दवाएं बेचने का रास्ता बंद हो गया है। इसके लिए फार्मा कंपनियों को आपत्तियां दर्ज करवाने को दी गई मोहलत खत्म हो गई है। केंद्र सरकार की नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) अब इन फार्मा कंपनियों की सुनवाई नहीं करेगी। इसके साथ हिमाचल में सैकड़ों दवाओं को हर हाल में सस्ते दाम पर बेचना होगा। एनपीपीए ने 338 दवाओं के रेट...

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चक्रवात के शेष प्रश्न

बेशक ओडिशा और आंध्रप्रदेश के तटीय इलाके में “ राहत और बचाव कार्य के मामले में एक चमत्कार हुआ है ” लेकिन आपदा-प्रभावितों के पुनर्वास की चुनौती भी समान रुप से महत्वपूर्ण है। क्या निकट भविष्य में, ओडिशा, झारखंड और बिहार के लिए चक्रवात से हुए नुकसान की भरपाई कर पाना संभव होगा?( इन राज्यों में हुए नुकसान के लिए देखें नीचे दी गई लिंक) तथ्यों का संकेत है कि- ‘नहीं’।...

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