रेहलदाग के शिवा भुइयां को दो महीने से राशन नहीं मिला है. उनके पास राशन कार्ड है. जो इस बात का प्रमाण है कि वह जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) के विक्रेता (डीलर) से अपने परिवार के लिए आवंटित राशन ले सकते हैं. इसके बावजूद उनके गांव में राशन वितरण के लिए अधिकृत स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) ने उन्हें सितंबर महीने में राशन नहीं दिया क्योंकि वे ईसाई हैं और उन्होंने दुर्गा पूजा...
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आदिवासी स्त्रियों का शोषण रोकने सुरक्षा कवच जरूरी - रमेश नैयर
ढाई-तीन दशक से मनुष्यों का आखेट क्षेत्र बने हुए बस्तर के अनेक अप्रिय सच सामने आने लगे हैं। बस्तर की वे अल्हड़ युवतियां, जो घने जंगल में मुक्त विचरण करते हुए शेर और भेड़िये से भी नहीं डरा करती थीं, अब दो पैरों वाले नृशंस पशुओं की छाया से भी थरथराने लगी हैं। कटु सत्य यह है कि वे कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। बालिका छात्रावासों में शिक्षकों और अन्य...
More »चलो, चलें गांव की ओर?-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर
सत्तर के आखिरी दशक में मेरी मुलाकात अस्सी साल के बुजुर्ग शिक्षाविद श्रीमान जीवन नाथ दर से हुई थी. मैं जिस विद्यालय की आठवीं-नवीं कक्षा में पढ़ता था, ये कभी वहीं प्राचार्य हुआ करते थे. कहते हैं कि जब बिहार सरकार ने भारत सरकार की सलाह पर इस प्रयोगात्मक विद्यालय खोलने का निर्णय लिया, तो पंडित नेहरू ने उनसे यहां आने का आग्रह किया था. शांतिनिकेतन के तर्ज पर बिना...
More »किसान आंदोलन का ट्रेलर --- योगेन्द्र यादव
पिछले दिनों जंतर-मंतर पर किसान की पीड़ा की परेड चल रही थी. साथ ही किसान आंदोलन के नये रूप और नये संकल्प की बानगी भी मिल रही थी. दुख, आक्रोश और नैराश्य के सागर में डूबता-उबरता मैं एक छोटी सी आशा ढूंढ रहा था. वहां पर उसकी झलक दिख गयी. किसान की दशा का नाटकीय चित्रण करने में तमिलनाडु के किसान नेता अय्याकन्नू का कोई जवाब नहीं. राज्य में पिछले...
More »पहाड़ी कोरवाओं की बेंवर--- खेती बाबा मायाराम
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है लेकिन यहां ऐसे समुदाय भी हैं, जो धान की खेती नहीं करते। उनमें से एक समुदाय है पहाड़ी कोरवा। पहाड़ी कोरवा उन आदिम जनजाति में एक है जिनका जीवन पहाड़ों व जंगलों पर निर्भर है। यह आदिवासी पहाड़ों पर ही रहते हैं और इसलिए इन्हें पहाड़ी कोरवा कहते हैं। ये लोग बेंवर खेती करते हैं जिसमें सभी तरह के अनाज एक...
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