गत महीने फेसबुक द्वारा किये एक सर्वे में यह बात सामने आयी कि भारत में हर पांच में से चार महिलाएं उद्यमी बनने की क्षमता रखती हैं, बशर्ते उनके सशक्तीकरण के प्रयास किये जायें. शोध के मुताबिक यदि अभी से शुरुआत की जाये, तो वर्तमान व्यवसाय और रोजगार के समस्त लक्ष्यों को सिर्फ 52 फीसदी महिलाओं के दम पर ही वर्ष 2021 तक ही पूरा किया जा सकता है. फिर...
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सुधारों को रफ्तार देने का अवसर - संजय गुप्त
इस बार एक फरवरी को जब केंद्रीय वित्त मंत्री आम बजट पेश करेंगे तो यह दो कारणों से एक ऐतिहासिक क्षण होगा। एक तो मोदी सरकार ने दशकों पुरानी परंपरा को समाप्त कर आम बजट को फरवरी के अंतिम सप्ताह के बजाय पहले सप्ताह में पेश करने का निर्णय लिया है और दूसरे, रेल बजट को आम बजट में ही समाहित करने का फैसला किया है। रेल बजट को आम...
More »गेहूं के कर-मुक्त आयात की नीति से मंडराते खतरे-- के सी त्यागी
केंद्र सरकार ने गेहूं के आयात पर लगने वाले ‘आयात शुल्क' को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला किया है। यानी गेहूं के आयात पर अब तक लग रहे 10 फीसदी शुल्क को हटा लिया गया है। अब विदेशों से गेहूं आयात करने पर किसी तरह का ‘कर' नहीं लगेगा। कर-रहित आयात को मंजूरी मिल जाने से बाजार में विदेशों से आयातित सस्ते गेहूं की बहुतायत होगी, जिससे देश...
More »तीस साल पहले और अब!-- नसीरुद्दीन
एक दानिश्वर की मशहूर लाइन है- जो इतिहास भूल जाते हैं, वे इसे दोहराने की गलती करते हैं. इतिहास में तीस साल, लंबा वक्त नहीं होता है. फिर भी लगता है कि हम बहुत जल्दी भूलने के आदी हो गये हैं. नतीजतन, बुरे वक्त को दोहराने की गलती करते रहते हैं. फिर वैसा ही माहौल बनाने की कोशिश हो रही है, जैसा तीस साल पहले बनाया गया था. वैसा ही...
More »गंगोत्री ग्लेशियर का बिगड़ता मिजाज- ममता सिंह
ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में ग्लेशियरों का पिघलना कोई अचरज की बात नहीं रह गई है। हर साल ग्लेशियरों का दायरा सिकुड़ने और समुद्र की सतह कुछ उठ जाने के आंकड़े आते रहते हैं। मगर उससे भी महत्त्वपूर्ण बात अब तक ग्लेशियरों के बचाव की दिशा में कोई महत्त्वपूर्ण कदम नहीं उठाया जाना है। मौजूदा हालात में सर्वाधिक चिंता का विषय यही है। अभी हाल के वाडिया इंस्टीट्यूट...
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