पोषक-तत्वों से भरपूर और वर्षा-सिंचित इलाकों में ऊपज के लिए अनुकूल रागी, ज्वार, बाजरा, सांवा, कोदो, चीना और कुटकी जैसे मोटहन के उत्पादन में भारत का स्थान दुनिया में अव्वल है लेकिन इन फसलों का उत्पादन-क्षेत्र 1961 से 2012 के बीच घटता गया है। हाल ही में जारी नेशनल अकेडमी ऑव एग्रीकल्चरल साइसेंज के नीति-पत्र रोल ऑव मिलेटस् इन न्यूट्रिशनल सिक्युरिटी ऑव इंडिया के अनुसार साल 1955-56 में मोटहन की खेती...
More »SEARCH RESULT
खाद्य सब्सिडी का अंकगणित - अमित तिवारी
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल का बड़ा अहम फैसला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में बड़ा फैसला करते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को पास कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। कड़ी जद्दोजहद के बाद आखिरकार विधेयक पास भी हो गया। लेकिन इसी के साथ आर्थिक संकट से जूझ रहे राजकोष पर पडऩे वाले...
More »स्मार्ट फसल से कृषि का विकास
क्या आप कभी यह सोच भी सकते हैं कि रसोईघर में बनाया जानेवाला भोजन अब लैब में भी बन सकता है? पर ऐसा संभव है. बानगी देखिए, लंदन में कुछ महीने पहले एक ऐसे बर्गर का प्रदर्शन प्रेस कांफ्रेंस के दौरान किया गया, जो लैब में तैयार किये गये मांस (मीट) से बना था. नीदरलैंड के वैज्ञानिकों का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिक मार्क पोस्ट ने गाय की स्टेम कोशिकाओं की मदद...
More »हेमंत ने ममता बनर्जी को लिखा पत्र, कहा झारखंड भी सब्जियां उगाता है दीदी
रांची: पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से आलू की आपूर्ति रोके जाने को झारखंड सरकार ने गंभीरता से लिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है. पत्र में मुख्यमंत्री ने ममता बनर्जी को ममता दीदी कह कर संबोधित किया है. लिखा है कि झारखंड में बड़े पैमाने पर फूलगोभी, गाजर, फ्रेंच बीन, टमाटर आदि सब्जियों की खेती होती है. झारखंड के किसान...
More »भूख के खिलाफ जंग में अब भी पीछे भारत- अरविन्द मोहन
कायदे से जिस साल भारत में खाद्य सुरक्षा कानून बना है और भोजन के हक पर व्यापक चर्चा हुई, उसमें तो संयुक्त राष्ट्र के संगठन फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) द्वारा जारी नये हंगर इनडेक्स की भी खूब चर्चा होनी चाहिए थी, पर ऐसा नहीं हुआ. कुछेक अखबारों में थोड़ी विस्तृत और बाकी में हल्के-फुल्के ढंग से खबर छप कर बात समाप्त हो गयी. कुछ लोग इस बात से संतुष्ट दिखे कि...
More »