यवतमाल. देश की जनता दरिद्रता, बीमारी, भूख, कुपोषण से पीड़ित है। सभी तरह से बेहाल है फिर भी देश के नेताओं ने जनता को चूस-चूसकर भ्रष्टाचार के माध्यम से थोड़ा नहीं बल्कि 4 लाख करोड़ रु. का काला धन विदेशी बैंक में जमा कर रखा है। इस काला धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर देश में लाना जरूरी है। इस राष्ट्रीय संपत्ति का उपयोग करने से देश सिर्फ बलवान ही नहीं...
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महिला सशक्तिकरण का यक्ष प्रश्न- डॉ. ऋतु सारस्वत
नई दिल्ली [डॉ. ऋतु सारस्वत]। भारत अपनी स्वतंत्रता के छह दशक बिता चुका है और इन वर्षो में भारत में बहुत कुछ बदला है। विश्व के सबसे मजबूत गणतंत्र में सभी को अपनी इच्छा से जीने, सोचने और अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता मिली है, जिसका हम उपभोग भी कर रहे हैं। हालाकि एक वर्ग ऐसा भी है जो आज भी इस सुखानुभूति से वंचित है और वह...
More »टूटती सांसों के बीच करती है जूतों की मरम्मत
बांदा, गणतंत्र दिवस के 62वें सालगिरह पर देश भर में जहां जश्न और खुशियों का माहौल है, वहीं देश के कई हिस्सों में अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है, तब जाकर मुश्किल से कहीं उनका पेट भरता है। एक ऐसी ही बुजुर्ग महिला चंद्रकली (85) है जो पिछले 40 साल से मोची का काम कर अपना गुजर बसर कर...
More »बेरहम हुए धरती के भगवान
रांची रिम्स के सर्जरी विभाग के डॉक्टरों के सामने एक लाचार बाप पिछले कई दिनों से अपनी बेटी की जान की भीख मांग रहा है। लेकिन धरती के भगवान कहलाने वाले डॉक्टर उसकी हालत देखकर पसीज नहीं रहे हैं। गढ़वा के जनार्दन सिंह (बदला हुआ नाम) नामक इस शख्स की आंखें रोते-रोते सूज चुकी है। उसकी छह वर्षीय बेटी रिंकी के लीवर में पानी भरा हुआ है। हालत दिन पर दिन खराब होती...
More »भुखमरी का अर्थशास्त्र- देविन्दर शर्मा
कुछ चौंकाने वाली छवियां मेरे मन में अब भी अंकित हैं। कोई 25 साल पहले मैं एक प्रमुख दैनिक में छपी खबर पढ़ रहा था, जिसमें लिखा था कि भारत में हर दिन करीब पांच हजार बच्चे मर जाते हैं। पिछले सप्ताह एक अखबार में छपी खबर ने फिर मेरा ध्यान खींचा। इसमें लिखा था कि भारत में 18.3 लाख बच्चे अपना पांचवां जन्मदिवस मनाने से पहले ही मर जाते हैं।...
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