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‘ऐसे कानून के लिए हम विकास दर बढ़ने का इंतजार करते रहें, यह जरूरी तो नहीं’

खाद्य सुरक्षा विधेयक पर अलग-अलग खेमों से अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है. सामाजिक कार्यकर्ता इसकी तारीफ कर रहे हैं तो कॉरपोरेट जगत इस पर चिंतित है. अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज, रेवती लॉल को बता रहे हैं कि क्यों देश को इस कानून की जरूरत है और इसमें कौन-सी खामियां हैं जो दूर होनी चाहिए. खाद्य सुरक्षा विधेयक ने तमाम आशंकाएं पैदा कर दी हैं. पहली आशंका यह है कि देश के...

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कैसे थमेगी स्त्रीविरोधी हिंसा- विकास नारायण राय

जनसत्ता 2 सितंबर, 2013 : लैंगिक असमानता के जंगल में भेड़ियों का यौनिक हिंसा का खेल थमना नहीं जानता। तो भी एक अभिभावक की हैसियत से कोई नहीं चाहेगा कि उसकी बेटी का ऐसे दरिंदों से वास्ता पड़े। स्त्री के विरुद्ध होने वाली घृणित यौनिक हिंसा की ये पराकाष्ठाएं किसी भी अभिभावक को वितृष्णा और असहायता से भर देंगी। मगर आसाराम पर लगे आरोप या मुंबई में फोटो-पत्रकार के साथ...

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उत्तराखंड की चेतावनी- अपूर्व जोशी

जनसत्ता 26 जून, 2013: उत्तराखंड में आई भारी विपदा पर लिखने बैठा, तो एकाएक बाबा नागार्जुन याद आ गए, अपनी एक कविता के जरिए- ताड़ का तिल है/ तिल का ताड़ है/ पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है/ किसकी है जनवरी/ किसका अगस्त है/ कौन यहां सुखी है/ कौन यहां मस्त है/ सेठ ही सुखी है। सेठ ही मस्त है/ मंत्री ही सुखी है/ मंत्री ही मस्त है/...

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सुधारों की दिशा और आम आदमी( पू्र्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिवस पर प्रभात खबर की विशेष प्र?

भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...

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जहां विचारों की कमी है- अपूर्वानंद

जनसत्ता 30 जनवरी, 2013: जयपुर साहित्य समारोह में आशीष नंदी के वक्तव्य के कारण उनके खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न संबंधी कानून के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है। बल्कि कहना ठीक होगा, मुकदमे दर्ज किए गए हैं, राजस्थान और उसके बाहर भी। अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग ने उनकी अब तक गिरफ्तारी न किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। वाम, दक्षिण, मध्यमार्गी, हर प्रकार के राजनीतिक दल ने...

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