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नवउदारवाद और राष्ट्रवाद के बीच में खेती-किसानी का भविष्य

-न्यूजक्लिक, सभी जानते हैं कि तीसरी दुनिया के देशों में मुक्ति का संघर्ष जिस साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद से संचालित था, वह उस पूंजीवादी राष्ट्रवाद से बिल्कुल भिन्न प्रजाति की चीज थी, जिसका जन्म सत्रहवीं सदी में यूरोप में हुआ था। पश्चिम में इस तरह की प्रवृत्ति है, जिसमें प्रगतिशील भी शामिल हैं, जो राष्ट्रवाद को एकसार तथा प्रतिक्रियावादी श्रेणी की तरह देखती है। वे साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद तक को यूरोपिय पूंजीवादी राष्ट्रवाद के...

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कृषि अध्यादेश आने के बाद नई मंडियों के निर्माण पर योगी सरकार ने क्यों लगाई रोक?

-न्यूजलॉन्ड्री, केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर भारी संख्या में किसान बीते नौ महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान किसान नेताओं और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हुई, लेकिन इसका में कोई हल नहीं निकला. दरअसल सरकार इन कानूनों को किसान हित में बता रही है, वहीं किसान नेता इसे काला कानून बताकर सरकार से वापस...

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पाँच साल बाद भी लड़खड़ा रही ई-मंडियां, कैसे करेंगी किसान की मदद?

-इंडिया स्पेंड, मुज़फ़्फ़रनगर: केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में सारी कृषि मंडियों को इंटरनेट से जोड़कर एक संयुक्त राष्ट्रीय मंडी बनाने के उद्देश्य से ई-मंडी योजना की शुरुआत की। ई-मंडी यानी इंटरनेट पर चलने वाली इस मंडी के ज़रिए किसान देश के किसी भी राज्य में फसल का दाम जानकर कहीं के भी व्यापारी को अपनी फसल बेच सकता है। साल 2021-22 का वित्तीय बजट पेश करते वक़्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन...

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अर्थव्यवस्था के लिए इसके चारों इंजन का पूरे वेग से काम करना जरूरी है लेकिन मोदी सरकार केवल दो पर ज़ोर दे रही है

-द प्रिंट, भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि को लेकर भविष्यवाणियां आशावादी स्तरों पर आकर केन्द्रित हो गई हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि 8.3 प्रतिशत (विश्व बैंक) से लेकर 10.5 प्रतिशत (सरकार) तक की आर्थिक रिकवरी हो सकती है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश 9.5 प्रतिशत का अनुमान लगा रहा है. निवेश बैंकों के कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुमान इसी बीच के हैं. महामारी के कारण पिछले साल जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट...

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भारत की जेलों में कैद औरतों की अनकही कहानियां

-जनपथ, सावित्री को जेल में छह साल हो गये हैं। जमानत तो नहीं हुई, केस भी जाने कब खतम हो। पति के अत्याचारों से तंग आने पर एक दिन हाथापाई में उसकी हत्या हो गयी। अब मायके और ससुराल वालों के साथ ही बच्चे भी पिता की हत्यारिन मानकर उसकी सुध नहीं लेते हैं। रामरति से उसके अपनों ने भी इसलिए मुंह फेर लिया कि पति और ससुराल वालों के अत्याचारों...

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