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पत्रकारों के लिए इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2012-13- आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ायी गई

  (आवेदन की अंतिम तिथि- 31 दिसंबर, सोमवार, 2012) विकासशील समाज अध्ययन पीठ( सीएसडीएस) की एक परियोजना इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज की तरफ से इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2012-13 के लिए पत्रकारों से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में आवेदन आमंत्रित हैं। फैलोशिप का उद्देश्य ग्रामीण-विकास पर ध्यान खींचना है, खासकर सशक्तीकरण, विकेंद्रीकरण, कन्वर्जेंस तथा पंचायतों और स्थानीय निकायों द्वारा मौजूदा स्कीमों के बेहतर इस्तेमाल के जरिए होने वाले ग्रामीण विकास पर। इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज ग्रामीण भारत से संबंधित सूचनाओं, विचारों...

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ऐसे हो सकता है देश की जीडीपी में 27 फीसद का इजाफा !

दुनिया में 86 करोड़ 50 लाख महिलाएं अर्थव्यवस्था में योगदान के बावजूद बिना कमाई के जीवन गुजारने को बाध्य हैं। इस तादाद का 94 फीसद विकासशील देशों में है जबकि 6 फीसद विकसित देशों में। साल 2020 तक अर्थव्यवस्था से बाहर जीवन बिताने वाली महिलाओं की तादाद तकरीबन 1 अरब यानी भारत या फिर चीन की कुल आबादी के बराबर हो जाएगी। क्या अर्थव्यवस्था से बाहर जीवन बिताने को बाध्य महिलाओं की यह तादाद आर्थिक...

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"छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश का मॉडल बेहतर"- आरपी सिंह

झारखंड के राज्य ग्रामीण विकास संस्थान (सर्ड) के निदेशक राम प्रताप सिंह (आरपी सिंह) अपनी जिम्मेवारियों के प्रति संवेदनशील व समय के पाबंद हैं. गांव के विकास से जुड़े हर बिंदु पर वे मौलिक राय रखते हैं और इसे साझा भी करते हैं. तीन दशकों बाद जब झारखंड में पंचायत राज निकाय का गठन हुआ, तो उसे गति देने के लिए क्षमतावान अधिकारियों की जरूरत महसूस की गयी. ऐसे में...

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खाद्य सुरक्षा की खातिर - सुभाष वर्मा

जनसत्ता 5 जनवरी, 2012: पूरी दुनिया में एक सौ पचीस करोड़ से अधिक लोग भूख से त्रस्त हैं, जिनमें से एक तिहाई लोग भारत के गरीब हैं। नवीनतम वैश्विक भूख सूचकांक में भारत का स्थान बहुत नीचे, इक्यासी देशों के बीच सड़सठवां है। इसलिए यह स्वागत-योग्य है कि भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाला विधेयक संसद में पेश किया है। इस विधेयक में ग्रामीण इलाकों की पचहत्तर फीसद और...

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राजस्थान में आदिवासी अधिकारों की अनदेखी

सामाजिक अधिकारिता के कानूनों के होने भर से किसी समुदाय के सशक्तीकरण की गारंटी होती तो राजस्थान का आदिवासी समुदाय ना तो शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित रहता और ना ही अपनी जीविका के जरुरी साधन जमीन से। मिसाल के लिए इन तथ्यों पर गौर करें।राजस्थान की कुल आबादी में आदिवासी समुदाय की तादाद १२.४४ फीसदी है और साक्षरता-दर है ४४.७ फीसदी जबकि सूबे की औसत साक्षरता दर इससे कहीं ज्यादा ऊंची(६१.०३ फीसदी) है। क्या शिक्षा...

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