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दूसरा पहलूः गोली और गाली नहीं, विकास चाहिए

दिल्ली विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण और विभाजनकारी प्रचार सारी हदों को पार कर गया. मतदाताओं ने इन सबको खारिज कर आप को फिर मौका दे दिया. लेकिन क्या भाजपा अपने इस प्रयोग को दूसरे राज्यों में भी आजमाएगी और भाजपा के लिए शाहीन बाग की राजनैतिक उपादेयता खत्म होने के बाद उसे दिल्ली पुलिस कितने दिन और बर्दाश्त करेगी ? विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के बाद सबसे पहले दिल्ली में...

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मुद्रा योजना: आसान कर्ज वाली बात हकीकत से बहुत दूर है

बिहार के छपरा के कटहरी बाग में फूलों की एक छोटी सी दुकान चलाने वाले धनंजय कुमार (38 वर्ष) को अपना कारोबार बढ़ाने के लिए कुछ पैसों की जरूरत थी। केंद्र सरकार की 'मुद्रा योजना' के तहत उन्होंने एक नजदीकी बैंक में लोन के लिए अप्लाई किया, लेकिन उन्हें लोन नहीं मिला। धनंजय कुमार सहित दर्जनभर फूल कारोबारियों की लोन की अर्जी को यह कहकर खारिज कर दिया गया कि...

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विषमता का विकास

पिछले कई सालों से एक जो नारा सबसे ज्यादा प्रचारित रहा है वह है ‘सबका साथ सबका विकास’! चूंकि खुद भाजपा सरकार की ओर से यह नारा सबसे ज्यादा प्रचारित किया गया है, इसलिए कायदे से अपेक्षा यह थी कि देश के सभी तबकों के लोगों को विकास के तमाम अवसरों में बराबर की सहभागिता मिलती और इस तरह विकास ज्यादा समावेशी होता। लेकिन यह बेहद निराशाजनक तस्वीर है कि...

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आप्रवासियों और शरणार्थियों की संख्या को लेकर फैलाए गए भ्रमों और तथ्यहीन कुतर्कों को खारिज करते आंकड़ें

विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्रोतों के आंकड़ें आप्रवासियों और शरणार्थियों की संख्या को लेकर फैलाए गए भ्रमों और तथ्यहीन कुतर्कों को खारिज करते हैं.   अनेकों मीडिया रिपोर्टें यह खुलासा करती हैं कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRIC), जिसे देशभर में लागू किए जाने की उम्मीद है, के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में डिटेनशन सेंटर बनाए जा रहे हैं. हालांकि मीडिया के सामने सरकार एनआरसी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के बीच किसी भी प्रकार के संबंध से इनकार कर रही है,...

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मातृ मृत्यु को कम करने का लक्ष्य अभी दूर है

 भारत में मातृ मृत्यु को कम करने का लक्ष्य अब भी बहुत दूर है। उच्च मातृ मृत्यु अनुपात महिलाओं की खराब प्रसव स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा समाज में उनकी भयावह स्थिति को भी दर्शाता है। सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के ताजा जारी आंकडे बताते हैं कि मातृ मृत्यु अनुपात में तेजी से गिरावट आई है। मातृ मृत्यु अनुपात जहां साल 1997-98 में 398.0 था, वहीं वर्ष 2015-17 में ये आंकड़ा 122.0...

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