इंटरनेट पर सूचनाएं और आंकड़े खोजना कभी मुश्किल नहीं रहा, पर भारत से संबंधित आंकड़े खोजना कभी आसान भी नहीं रहा। ऐसे स्रोत बहुत ज्यादा नहीं हैं, जहां देश के सारे आंकड़े मिल जाएं और वे विश्वसनीय भी हों। आंकड़ों तक जनता की सर्वसुलभता को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय आंकड़ा भागिता और अभिगम्यता नीति 2012 का निर्माण किया गया है। अब इसी नीति के तहत, वेबसाइट का निर्माण किया गया है,...
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जीएम बीज पर फैसला विदेशी दबाव में नहीं किया जाएगा:तारिक अनवर
पटना : केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री तारिक अनवर ने आज कहा कि आनुवंशिक तौर पर संवर्धित (जीएम) बीज के संबंध में फैसला विदेशी दबाव नहीं किया जाएगा और वैज्ञानिक स्तर पर जांच करने के बाद ही इस अपनाया जाएगा. तारिक ने यहां तीसरे भारतीय फसल सम्मेलन 2013 का उद्घाटन के बाद जीएम बीज को लेकर सरकार के रुख के बारे में कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में...
More »आरटीआइ से पंचायतें मांगें अधिकार
मित्रो, आप पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि हैं. जनता ने आपको इसलिए चुना कि आप पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर उनकी बुनियादी समस्याओं को दूर करने के लिए योजनाएं बनाएं, उनका कार्यान्वयन करें और उन पर नियंत्रण रखें. संविधान के 73वें संशोधन ने आपको वही ताकत दी है, जो अपने क्षेत्र में विधायकों और सांसदों को मिला हुआ है. निचले स्तर पर आप पंचायत सरकार हैं. पंचायत सरकारें सत्ता के लोकतांत्रिक ढांचे की...
More »भ्रष्टाचार का भयावह मंजर- ज्ञान प्रकाश पिलानिया
जनसत्ता 17 सितंबर, 2013 : हाल ही में ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की ‘वैश्विक भ्रष्टाचार: बैरोमीटर-2013’ रिपोर्ट में एक बार फिर यह उजागर हुआ है कि भारत में भ्रष्टाचार दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले दुगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। विश्व के सत्ताईस फीसद लोगों ने कहा कि उन्होंने पिछले साल भर के दौरान रिश्वत देकर काम कराया है। लेकिन अकेले भारत में यह आंकड़ा चौवन फीसद रहा। यानी हर दो में...
More »महिला जनप्रतिनिधि भी आरटीआइ लगाने में आगे
पंचायती राज में 50 फीसदी महिलाओं के आने से एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि अगर परिवार का हस्तक्षेप न हो और व्यवस्था सहयोग करे, तो अधिसंख्य महिला जनप्रतिनिधि हमेशा भ्रष्टाचारमुक्त समाज के साथ पंचायत में समेकित विकास की बात सोचती हैं. प्रथम अपील एवं द्वितीय अपील तक महिला जनप्रतिनिधियों की पहुंच कम शाहिना परवीन बताती हैं, इसके पीछे दो महत्वपूर्ण कारण हैं. अव्वल तो यह की आज भी सूचना का...
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