पहले से ही बेतहाशा महंगाई से त्रस्त आम लोगों की परेशानी और बढ़ने वाली है। आज से डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। मंगलवार शाम राजनीतिक मामलों पर होने वाली कैबिनेट कमेटी की बैठक में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ाने पर फैसला लिया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक डीजल के दाम 4 से 5 रुपए तक बढ़ सकते हैं। रसोई गैस की कीमत में...
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पर्यावरण भी हो विकास का मानक- अनिल पी जोशी
हमने विकास का सबसे बड़ा मापदंड सकल घरेलू उत्पाद की दर को माना है। किसी भी देश की प्रगति उसकी जीडीपी के आधार पर तय की जाती है। इसमें उद्योग, सुविधाएं, रियल इस्टेट बिजनेस, सेवाएं आदि मुख्य रूप से आते हैं। सही मायने में खेती को ही जीडीपी या उत्पादन की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि अन्य उत्पाद हमारी सुविधाओं से जुड़े हैं, न कि आवश्यकताओं से। विकास की मौजूदा अवधारणा...
More »बयान को तोड मरोड कर पेश करने से चिदंबरम क्षुब्ध
नयी दिल्ली, 11 जुलाई (एजेंसी) केन्रदीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने अपने बयान को मीडिया में कथित रूप से जानबूझ कर तोड मरोड कर पेश करने पर आज क्षोभ और नाराजगी व्यक्त की। चिदंबरम के हवाले से मीडिया में खबरें आयी थीं कि जनता आइसक्रीम के लिए 20 रूपये देने को राजी है लेकिन गेहूं चावल की कीमत में एक रूपये की बढोतरी का विरोध करती है । गृह मंत्रालय ने एक बयान...
More »ऐसा भविष्य जो हम नहीं चाहते- वंदना शिवा
राजील का शहर रियो डे जेनेरियो यू टर्न के लिए मशहूर है। रियो +20 सम्मेलन ने भी इसी का अनुकरण किया है, जो धरती के जीवन को बचाए रखने की मानवीय जिम्मेदारी से पलटने का सबसे बड़ा उदाहरण था। बीस वर्ष पहले पृथ्वी सम्मेलन में जैव-विविधता के संरक्षण एवं विनाशकारी जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए कानूनी रूप से एक बाध्यकारी समझौते पर दस्तखत किए गए थे। जैव-विविधता पर सम्मेलन और...
More »सिंगरौली में संघर्ष जारी है- पुण्य प्रसून वाजपेयी
जनसत्ता 25 मई, 2012: यह रास्ता जंगल की तरफ जाता जरूर है, लेकिन जंगल का मतलब वहां सिर्फ जानवरों का निवास नहीं होता। जानवर तो आपके आधुनिक शहर में हैं, जहां ताकत का अहसास होता है। जो ताकतवर है उसके सामने समूची व्यवस्था नतमस्तक है। लेकिन जंगल में तो ऐसा नहीं है। यहां जीने का अहसास है। सामूहिक संघर्ष है। एक दूसरे के मुश्किल हालात को समझने का संयम है। फिर न्याय से लेकर...
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