नोएडा। नोएडा एक्सटेंशन एरिया के तुस्याना व चौगानपुर गांव के बीच चोरी-चोरी बिल्डरों द्वारा किए जा रहे निर्माण को सैकड़ों किसानों ने बंद करा दिया। किसानों का आरोप है कि प्राधिकरण ने अतिरिक्त मुआवजा, वारिसान और 10 फीसदी विकसित प्लाट नहीं दिया है। बावजूद काम जारी है, जबकि हाईकोर्ट ने भी मास्टर प्लान अप्रूवल तक काम पर रोक लगा दिया है, लेकिन बिल्डर आदेशों का मखौल उड़ा रहे हैं। ग्रेटर नोएडा...
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गाय के गोठे में शिक्षा ले रहे आदिवासी बच्चे- प्रदीप घुमडवार
कुही. तहसील की राजोला गुट ग्राम पंचायत का आगरगांव सौ प्रतिशत आदिवासी गांव आज भी विकास से कोसों दूर है। इस गांव में प्राथमिक शाला के लिए स्वतंत्र इमारत नहीं होने से बच्चों को गाय के गोठे में बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। यह गांव मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित हैं। इसका खामियाजा भुगतने के बाद भी आदिवासी चुपचाप हैं। इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। यहां...
More »इन बच्चों का क्या कसूर?- हर्षमंदर
गरीबों के बच्चे मवेशी चराते हैं और चटाई बुनते हैं, वे शहर के कूड़ागाहों और ट्रैफिक सिगनल्स पर पाए जाते हैं, ईंट-भट्टे और कोयला खदानें आमतौर पर उनके काम करने की जगहें होती हैं। जब हमारे बच्चे स्कूलों में पढ़ाई करने जाते हैं, तब गरीबों के बच्चे रोजी-रोटी के लिए मशक्कत कर रहे होते हैं। लेकिन बड़ी अजीब बात है कि हमने महज इस संयोग के आधार पर इन बच्चों की इस...
More »गूगल अर्थ ने किया कमाल, 4000 गरीबों को दिला दी छत
सांगली. पुणे से ढाई सौ किमी दूर सांगली-मिरज में झुग्गियों में रह रहे चार हजार परिवारों ने अपने घर तोड़ लिए हैं। 29 बस्तियों के इन बाशिंदों को नए मकानों में बसाया जा रहा है। घरों के डिजाइन उनकी रजामंदी से ही बने। न कोई विरोध। न गुस्से का इजहार। ये कमाल हुआ है गूगल अर्थ की बदौलत। झुग्गियों से मुक्ति चाह रहे देशभर के बाकी शहरों के लिए सांगली-मिरज मिसाल...
More »झारखंड: संगीनों पर सुरक्षित गांव- चंद्रिका की रिपोर्ट
यह उन लोगों की कहानियां हैं, जो आजादी, इंसाफ और शांति के साथ जीना चाहते हैं. अपने गांव में खेतों में उगती हुई फसल, अपने जानवरों, अपनी छोटी-सी दुकान और अपने छोटे-से परिवार के साथ एक खुशहाल जिंदगी चाहते हैं. लेकिन यह चाहना एक अपराध है. अमेरिका, दिल्ली और रांची में बैठे हुक्मरानों ने इसे संविधान, जनतंत्र और विकास के खिलाफ एक अपराध घोषित कर रखा है. उनकी फौजें गांवों...
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