मित्रो, बच्चों के अधिकार, स्वास्थ्य और भविष्य को लेकर परिवार, समाज और सरकार सभी चिंता करते हैं. ये इन सभी के भविष्य की बुनियाद हैं. इन्हें जितना मजबूत बनाया जायेगा, सब का भविष्य उतना ही उज्ज्वल होगा. इस तथ्य के बाद भी आंकड़े बताते हैं कि हम बच्चों की जान बचाने में अब भी पीछे हैं. जो बच्चे पैदा हो रहे हैं, उनमें कुपोषित बच्चों की संख्या भी अधिक होती है. बच्चों...
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कम नहीं हो पा रहा कुपोषण- संदीप कुमार
सरकार का दावा है कि लोगों में कुपोषण घटा है. नेशनल सैंपल सर्वे आर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) की 66वीं अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि दो तिहाई लोग पोषण के सामान्य मानक से कम खुराक ले पा रहे हैं. योजना आयोग का मानना है कि हर ग्रामीण को न्यूनतम 2400 किलो कैलोरी व हर शहरी को न्यूनतम 2100 किलो कैलोरी का आहार मिलना चाहिए. जमीनी हकीकत क्या है, यह भी सरकारी...
More »वंचित तबके के हक पर डाका डालने वाले- सुभाष गताडे
अनुसूचित तबकों के छात्रों को दी जा रही छात्रवृत्ति जारी करने में विलंब के चलते लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। पिछले दिनों राज्यसभा में शून्यकाल में इसी मसले को बसपा के एक सांसद ने उठाकर सदन का ध्यान खींचने की कोशिश की थी। संविधान के अंतर्गत अनुसूचित तबकों को दिए गए आरक्षण के बावजूद समय पर छात्रवृत्ति न मिलने से इन तबकों के छात्रों की पढ़ाई...
More »योजना आयोग की विदाई वेला- अनिल पद्मनाभन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना आयोग की विदाई की घोषणा कर दी है। उनकी अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार उन सारी नीतियों से मुक्ति की तरफ बढ़ रही है, जिनसे इस देश का पिछले छह दशक का राजकाज चला। दूसरी तरफ, यह भी लगता है कि सरकार के दिमाग में योजना आयोग जैसी संस्था का कोई विकल्प भी नहीं है। शुरू में ही सरकार में इसके लिए हर...
More »बेलगाम महंगाई के पोषक- विकास नारायण राय
जनसत्ता 22 अगस्त, 2014 : वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार आम लोगों के लिए बवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तर्क रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार करता है। शासकों का अगला तर्क होता है कि आम लोगों की जरूरत की चीजों की आपूर्ति जमाखोरों ने रोक रखी है और...
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