हमारे समय के सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों ने बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की प्रासंगिकता बढ़ा दी है. इधर हाल के कुछ वर्षों में डॉक्टर आंबेडकर को पढ़ने और समझने की चेतना विकसित हुई है. अब उन्हें कोई अनदेखा नहीं कर सकता है. भाजपा हो, कांग्रेस हो या मार्क्सवादी पार्टियां- डॉक्टर आंबेडकर के बिना वे चुनावी वैतरणी नहीं पार कर सकती हैं. लेकिन क्या डॉक्टर आंबेडकर को केवल चुनाव जीतने के लिए...
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चिंता मतदाता के अधिकार की- कमलेश जैन
भारतीय गणतंत्र की विशाल जनसंख्या को, चुनावों के दौरान एक स्वच्छ, जनता की मर्जी से चुनी हुई सरकार बनाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने वर्षों से ऐसे फैसले दिए हैं, जो लगातार चुनाव प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बना रहे हैं। इसी शृंखला में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना ने निर्देश दिया है कि अब ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की ईमानदारी की जांच एक नहीं, बल्कि...
More »चुनावी हंगामे में रोजगार का मसला- हरजिंदर
इस बार आम चुनाव के दो थीम सॉन्ग हैं- रोजगार और कैश ट्रांसफर। ये दोनों गरीबी हटाने के सपने का हिस्सा हैं। कैश ट्रांसफर के सारे वादे सीधे और स्पष्ट हैं, जो छह हजार रुपये सालाना से शुरू होकर 72 हजार रुपये तक जाते हैं, साथ में कुछ पेंशन योजनाएं वगैरह भी हैं। लेकिन रोजगार के बारे में इतनी स्पष्ट बात नहीं की जा रही। पिछली बार भारतीय जनता पार्टी...
More »चुनाव चर्चा से नदारद पुलिस सुधार- विभूति नारायण राय
आगामी आम चुनाव को लेकर सभी प्रमुख दलों ने अपने-अपने घोषणापत्र जारी कर दिए हैं और इन सभी में एक समान अनुपस्थिति आपका ध्यान आकर्षित कर सकती है। किसी भी दल ने पुलिस सुधारों पर एक भी पंक्ति लिखने की जरूरत नहीं समझी। पहले की ही तरह इस बार भी किसी को यह जरूरी नहीं लगा कि जिस संस्था से जनता का रोजमर्रा की जिंदगी में सबसे ज्यादा वास्ता पड़ता...
More »क्लीन गंगा फंड की 80 फीसदी से अधिक राशि अब तक ख़र्च नहीं हुई
नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा गठित स्वच्छ गंगा निधि (क्लीन गंगा फंड या सीजीएफ) में प्राप्त की गई कुल राशि का अभी तक सिर्फ 18 फीसदी पैसा ही खर्च किया गया है. द वायर द्वारा दायर किए गए सूचना का अधिकार आवेदन में इसका खुलासा हुआ है. सितंबर 2014 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गंगा सफाई के लिए स्वच्छ गंगा निधि (सीजीएफ) के निर्माण को मंजूरी दी थी और जनवरी 2015 में...
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