यह बात अब आधिकारिक सूचना में आ चुकी है कि भारत में गरीबी पहले के अनुमानों से कहीं ज्यादा है। इस माह की 9 तारीख को सौंपी गई सुरेश तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गरीबी 37 फीसदी(2004-05) है ना कि 28 फीसदी, जैसा कि पहले के आकलनों में माना जाता रहा है।यदि तेंदुलकर समिति के आकलन में खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुई मौजूदा बढ़ोतरी को जोड़ दें...
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बाल-अधिकारों के बीस बरस
बाल-अधिकारों के बीस बरस बाल अधिकारों की वैश्विक स्वीकृति से जुड़े कन्वेंशन को दो दशक होने को आये लेकिन दुनिया आज भी बच्चों के लिए इस धरती को एक बेहतर, ज्यादा सुरक्षित और सेहतकारी बनाने के लक्ष्य से बहुत दूर है। इस दिशा में सबसे बड़ी चुनौती दक्षिण एशिया और उप सहारीय अफ्रीका में मौजूद है जहां प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा का अभाव है और गरीबी,बीमारी,शोषण तथा बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की समस्या आज भी गंभीर...
More »आरटीआई में बदलाव के विरूद्ध प्रदर्शन
सूचना के अधिकार अधिनियम में सरकार द्वारा बदलाव की आशंका के मद्देनजर कई नागरिक संगठन इसके विरोध में एकजुट हो रहे हैं ताकि इस ऐतिहासिक अधिनियम को नखदंत विहीन करने की कोशिशों को नाकामयाब किया जा सके। नेशनल काऊंसिल फॉर पीपल्स राईटस् टू इन्फॉरमेशन(एनसीपीआरआई) की अगुवाई में नागरिक संगठन 14 नवंबर को दिन में 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक जंतर-मंतर(दिल्ली) पर विरोध प्रदर्शन किया। एनसीपीआरआई ने सूचना...
More »चिराग तले अंधेरा....
अधिकारों की हिफाजत में कानून बनाना एक बात है और सच्चाई की जमीन पर उतार पाना एकदम दूसरी बात।देश की राजधानी दिल्ली को ही देखें। एक तरफ तो शिक्षा के बुनियादी अधिकार को साकार करने के लिए कानून अमल में आ गया है दूसरी तऱफ देश की राजधानी दिल्ली में में कामगार तबके की आबादी वाले कॉलोनियों में बच्चे नियमित पढ़ाई लिखाई से वंचित हो रहे हैं। दिल्ली में रोजमर्रा की...
More »यह स्कूल कैसा होता है, अंकल?
कानपुर। काकादेव कब्रिस्तान बस्ती के सामने की सड़क पर पान मसाला बेच रहे आठ वर्षीय बच्चे से पूछा गया, स्कूल जाते हो? उसने उलटा सवाल किया, स्कूल कैसा होता है अंकल? आजादी के 62 साल बाद किसी मासूम का यह सवाल पूरी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर देता है। शहर में यह अकेला मासूम नहीं है जिसने कभी स्कूल नहीं देखा। रेलवे स्टेशन, बस स्टाप व चौराहों से लेकर...
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