ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...
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खुले में ही गेहूं भंडारण को एफसीआई मजबूर
जागरण ब्यूरो [नई दिल्ली]। भारतीय खाद्य निगम [एफसीआई] ने मान लिया है कि चालू रबी सीजन में खरीदे जा रहे गेहूं के लिए गोदाम उपलब्ध नहीं होंगे। उसके पास सिर्फ 46 लाख टन अनाज के भंडारण के लिए गोदाम हैं, जबकि चालू सीजन में 262 लाख टन गेहूं की खरीद होनी है। यानी गेहूं का भंडारण खुले में ही जैसे-तैसे किया जा सकता है। पंजाब और हरियाणा में अभी भी 67 लाख टन अनाज...
More »सब ताज उछाले जाएंगे, सब तख्त गिराये जाएंगे- अरुंधति रॉय
दंतेवाड़ा को समझाने के कई तरीके हो सकते हैं। यह एक विरोधाभास है। भारत के हृदय में बसा हुआ राज्यों की सीमा पर एक शहर। यही युद्ध का केंद्र है। आज यह सिर के बल खड़ा है। भीतर से यह पूरी तरह उघड़ा पड़ा है। दंतेवाड़ा में पुलिस सादे कपड़े पहनती है और बागी पहनते हैं वर्दी। जेल अधीक्षक जेल में है, और कैदी आजाद (दो साल पहले शहर की पुरानी जेल से करीब 300...
More »आँखों को बेनूर कर रहा पानी- मीनाक्षी अरोड़ा
बिहार के भोजपुर जिले के बीहिया से अजय कुमार, शाहपुर के परशुराम, बरहरा के शत्रुघ्न और पीरो के अरुण कुमार ये लोग भले ही अलग-अलग इलाकों के हैं, पर इनमें एक बात कॉमन है, वो है इनके बच्चों की आंखों की रोशनी। इनके साथ ही सोलह और अन्य परिवारों में जन्में नवजात शिशुओं की आँखों में रोशनी नहीं है। इनकी आँखों में रोशनी जन्म से ही नहीं है। बिहार के...
More »अमीरी-गरीबी के बीच बढ़ता फासला
नई दिल्ली [निरंकार सिंह]। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि 11वीं योजना के अंत तक नौ फीसदी और 12वीं पंचवर्षीय योजना में 10 फीसदी विकास दर का लक्ष्य होना चाहिए। इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इसका फायदा समाज के हर वर्ग को मिले। इनकी सरकार लगातार समावेशी विकास के दावे कर रही है, लेकिन उसने विकास के उन तौर तरीकों को अपनाया है, जिससे समाज में विषमता बढ़ गई है। अमीरी और...
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