बजट में किसान कई बातों के अलावा मौसम की मार से बचाव के उपाय भी चाहता है। वह बेहतर मौसम अनुमान, फसलों की समय से क्षतिपूर्ति, सीधी सब्सिडी, सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जैविक खेती की उम्मीदें रखता है। जानकार भी कहते हैं कि सरकार कृषि और उससे जुड़े सेक्टर में भरपूर निवेश करे ताकि सूखे में स्थितियां नियंत्रण में बनी रहें। एक नजर- बजट 2016-17: क्या हैं उम्मीदें नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो किसानों...
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कब कमर कसेगी सरकार-- शंकर अय्यर
आप इसे बजट राग कह सकते हैं, जो पैसे के मूल मंत्र पर केंद्रित है। बजट के मौसम में सरकारी विचार कक्ष में पैसे के बारे में काफी चर्चा होती है। इस बार भी चर्चा हो रही है कि सरकार को राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना चाहिए या उसकी चिंता छोड़ देनी चाहिए। चर्चा इस पर भी है कि किसे दर्द सहना चाहिए और किसे फायदा होगा। विकास का सिद्धांत...
More »दस प्रतिशत शहरी गरीब परिवारों की संपत्ति मात्र 291 रुपये
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। बार-बार मानसून की बेरुखी से खेती पर मार और रोजगार के अभाव के कारण गांवों की स्थिति खराब है, लेकिन हकीकत में शहर के गरीबों का हाल और भी बुरा है। शहरों में 10 प्रतिशत गरीब परिवार के पास औसतन मात्र 291 रुपये की संपत्ति है। इन परिवारों की स्थिति गांव के गरीबों से भी बदतर है। इतना ही नहीं शहर में गरीब और अमीर परिवारों की...
More »कमाई के कंगूरे और गरीबी का गर्त- धर्मेन्द्र पाल सिंह
स्विट्जरलैंड के बर्फीले नगर दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक की पूर्व संध्या पर ब्रिटेन की संस्था ऑक्सफाम ने एक रिपोर्ट जारी की, जिससे पूरी दुनिया में हंगामा मच गया। ‘एन इकोनॉमी फॉर दी 1%' नामक इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आज महज बासठ खरबपतियों की संपत्ति 17.6 खरब डॉलर (1187.64 खरब रुपए) है, जो विश्व की आधी आबादी की दौलत के बराबर है। एक प्रतिशत अमीरों...
More »खेती की सुध
प्रधानमंत्री बीमा योजना से निस्संदेह किसानों की दशा कुछ सुधरने की उम्मीद बनी है। जिस तरह पिछले कुछ सालों से फसल बर्बाद होने और कर्ज के बोझ तले दबे होने के कारण किसानों में खुदकुशी की प्रवृत्ति दिखाई देने लगी है, उसके मद्देनजर व्यावहारिक फसल बीमा की मांग हो रही थी। हालांकि फसल बीमा योजना पहले से लागू थी, पर उसमें कुछ तकनीकी गड़बड़ियां और व्यावहारिकता की कमी होने के...
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