पटना : अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे ठेके पर बहाल शिक्षकों के बारे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि इन शिक्षकों की मांग पूरी करना संभव नहीं है पटना में आज पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश ने कहा कि शिक्षकों की मांग पूरी किया जाना संभव नहीं है क्योंकि इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त आवयश्यक्ता पडेगी. सड़क, बिजली, स्वास्थ्य एवं...
More »SEARCH RESULT
विवाद पर सरकार ने वैकल्पिक किया सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार पर विवाद के चलते बिहार सरकार ने स्कूलों में इसे वैकल्पिक करने का आदेश दे दिया है। मुस्लिम संगठन स्कूलों में सूर्य नमस्कार को जरूरी बनाये जाने का विरोध कर रहे थे। अब बिहार सरकार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को नया सर्कुलर जारी कर दिया है, जिसके अनुसार सूर्य नमस्कार वैकल्पिक हो गया है। उल्लेखनीय है कि इस साल पूर देश में स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती मनाई...
More »पत्रकारों के लिए इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2012-13- आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ायी गई
(आवेदन की अंतिम तिथि- 31 दिसंबर, सोमवार, 2012) विकासशील समाज अध्ययन पीठ( सीएसडीएस) की एक परियोजना इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज की तरफ से इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2012-13 के लिए पत्रकारों से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में आवेदन आमंत्रित हैं। फैलोशिप का उद्देश्य ग्रामीण-विकास पर ध्यान खींचना है, खासकर सशक्तीकरण, विकेंद्रीकरण, कन्वर्जेंस तथा पंचायतों और स्थानीय निकायों द्वारा मौजूदा स्कीमों के बेहतर इस्तेमाल के जरिए होने वाले ग्रामीण विकास पर। इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज ग्रामीण भारत से संबंधित सूचनाओं, विचारों...
More »इस असंतोष की जड़ें- पुण्य प्रसून वाजपेयी
जनसत्ता 8 नवंबर, 2012: बेचैनी हर किसी में है। आम आदमी की बेचैनी रोज-रोज की परेशानी से जूझते हुए पैदा हुई है। खास लोगों की बेचैनी सत्ता-सुख गंवाने के डर से उपजी है। विरोध में उठे हाथ गुस्से में हैं। गुस्सा जीने का हक मांग रहा है। सत्ता को यह बर्दाश्त नहीं है तो वह गुस्से में उठे हाथों को चिढ़ाने के लिए और ज्यादा गुस्सा दिलाने पर आमादा है। गुस्सा...
More »पीड़ा में पहाड़िया- निराला की रिपोर्ट
झारखंड से लेकर बिहार, मध्य प्रदेश और उड़ीसा तक फैले पहाड़िया समुदाय के लिए जिंदगी उतनी ही दुश्वार है जितनी सदियों पहले थी. धरती के सबसे पुराने बाशिंदे कहे जाने वाले इन लोगों की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं. निराला की रिपोर्ट. हम झारखंड के सुंदरपहाड़ी इलाके के पहाड़ों पर हैं. चेबो नाम के एक गांव में, जिस तक उजले भारत की कोई चमक अब तक नहीं पहुंची है, हां, शोषण जरूर उन...
More »