आर्थिक उदारीकरण में खेती-किसानी को कहीं भी महत्व नहीं दिया जाता। लेकिन भारत में कृषि नीति के प्रति सरकार की लगातार उदासीनता इसलिए घातक है कि सेवा क्षेत्र के विकास के बावजूद कृषि क्षेत्र आज भी अर्थव्यवस्था की धुरी है। यह हताशाजनक ही है कि सरकार बजट-दर-बजट खेती-किसानी को घाटे का सौदा साबित करने पर तुली है। बाहरी दबावों और कॉरपोरेट हितों के लिए कृषि क्षेत्र को तबाह करने का...
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खेत के साथ आंख भी नम, जमीन होते हुए भी रोटी के लिए मोहताज
सेम की समस्या सिर्फ चुनावों के समय ही म़ुद्दा बनती है। बाद में इनसे प्रभावित लोगों को कोई नहीं पूछता। सेम से सीएम प्रकाश सिंह बादल का गृह जिला मुक्तसर सबसे ज्यादा प्रभावित है। फरीदकोट और फिरोजपुर जिलों के कुछ गांव भी चपेट में हैं। कुछ साल पहले तक जमींदार कहलाए जाने वाले किसान आज जमीन होते हुए भी रोटी के लिए मोहताज हैं। मुक्तसर जिले के तहत थेहड़ी गांव निवासी परमजीत...
More »फसली चक्र को मात देगी दालों की काश्त- के जी शर्मा
प्रदेश में गेहूं-धान के फसली चक्र को तोड़ने के लिए दालों की काश्त अहम भूमिका निभा रही है। किसानों का रुझान प्रतिदिन दालों की काश्त की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश में दालों की खेती के तहत 80 फीसदी के करीब रकबा बढ़ने की संभावना है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक दालों की बिजाई के लिए जुलाई के शुरुआती दिन फायदेमंद हैं। मांह दाल की किस्में मांह-114, मांह-1-1 व मांह-338 बीजना...
More »22 हजार हेक्टेयर में होगी लघु धान्य फसलों की खेती
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में 22 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लघु धान्य फसलों की खेती करने का फैसला किया है। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यहा बताया कि छत्तीसगढ़ में चालू खरीफ मौसम में 2,200 हेक्टेयर में लघु-धान्य फसलो जैसे रागी, सावा, कोदो और कुटकी की खेती की जाएगी। रागी के लिए पाच-पाच सौ हेक्टेयर और कोदो-कुटकी तथा सावा की खेती के लिए दो-दो सौ हेक्टेयर के कलस्टर...
More »पाले से 40% तुअर फसल तबाह
भोपाल. हाल का पाला गर्मी में भी आम आदमी की रूह कंपाने वाला साबित होगा। सालों का रिकार्ड तोड़ने वाली ठंड ने पूरे प्रदेश की तुअर को बर्बाद कर दिया है। नतीजन किसानों को तो करोड़ों का नुकसान हुआ ही है, इससे कहीं आगे अब यह आशंका सताने लगी है कि कहीं बीते साल अचानक बढ़ी कीमतों के चलते पतली हो चली दाल इस बार थाली से गायब ही न हो...
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