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कोरोना लॉकडाउन: राहत शिविरों में रहने के बजाय पैदल ही निकले मज़दूर

-बीबीसी, छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के महीने भर बाद अब दूसरे राज्यों के मज़दूरों को राहत शिविरों में रखे जाने के बजाय उन्हें पैदल उनके घरों की ओर रवाना किया जा रहा है. हर दिन बड़ी संख्या में मज़दूर ओडिशा और महाराष्ट्र की सीमा से छत्तीसगढ़ में दाख़िल हो रहे हैं और पैदल ही अपने राज्यों के लिये रवाना हो रहे हैं. राहत शिविरों में रहने वाले मज़दूर भी अब अपने राज्यों की...

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लॉकउाडन के दौरान त्रिपुरा में रबर उद्योग को 250 करोड़ रुपये का नुकसान

-आउटलुक, कोरोना वायरस से बचाव के लिए देशभर में चल रहे लॉकडाउन की वजह से पिछले दो-ढ़ाई महीनों में त्रिपुरा में प्राकृतिक रबर उद्योग को करीब 250 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य के मुख्यमंत्री विप्लब कुमार देब ने कहा कि देशभर में लॉकडाउन का असर राज्य के रबर क्षेत्र पर पड़ा है। केरल के बाद त्रिपुरा भारत में दूसरा सबसे बड़ा रबर उत्पादक राज्य है, जिसमें 85,038 हेक्टेयर भूमि में...

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कोविड-19 संकट के बीच मजदूरों को आर्थिक सहयोग देने की वित्तीय क्षमता रखती है भारत सरकार

-द प्रिंट,  कोरोनावायरस केंद्र और राज्य सरकारों के लिए नई चुनौती बन कर सामने आया है. इसके मद्देनजर अर्थशास्त्रियों ने भी सरकार के सामने कई तरह के सुझाव रखे हैं. आर्थिक विशेषज्ञों ने एक बात स्पष्टता से रखी है- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित सहयोग पैकेज कामगार जनता को भूख से बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आगे बहुत छोटा है. यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई), अन्न...

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अर्थातः बचेगा डिजिटल इंडिया?

लड़खड़ाते मोबाइल नेटवर्क, घिसटते इंटरनेट और बढ़ते बिल के बीच टेलीकॉम बाजार को करीब से देखिए, आपको डिजिटल इंडिया हांफता नजर आएगा. वह उम्मीद छीजती दिखेगी जिसकी ताकत पर अर्थव्यवस्था को अगली छलांग लगानी है. सरकार ने वही किया है जो अब तक करती आई है, उसकी नीतियों ने फलते-फूलते प्रतिस्पर्धी दूरसंचार बाजार का गला दबा दिया है. ई कॉमर्स, ई गवर्नेंस, सबको मोबाइल, ई क्रांति (सेवाओं की इलेक्ट्राॅनिक डि‌िलवरी), डिजिटल...

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इलेक्टोरल बॉन्ड: जो पैसा राजनीतिक दलों के खाते में जा रहा है उसका बोझ करदाता उठा रहा है

राजनीतिक चंदे की लेनदेन में काम आने वाले बैंकिंग चैनलों, खातों और मुद्रक को मिलाकर समूचे इनफ्रास्ट्रक्चर के रखरखाव और सुरक्षा पर गोपनीय अरबपति या प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल एक पैसा अपनी ओर से खर्च नहीं करते. इसके बजाय यह लागत भारत सरकार के एक खाते कंसोलिडेटेड फंड आँफ इंडिया से वसूली जाती है जिसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों से आने वाला राजस्व जमा होता है. इसके ठीक उलट आम भारतीय...

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