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कोरोना वायरस संकट: अगले एक महीने में क्या हो सकता है?

-सत्याग्रह,  केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के चलते घोषित लॉकडाउन का पांचवां चरण शुरू हो गया. इसके लिए जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक कंटेनमेंट जोन में 30 जून तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है. बाकी इलाकों में चरणबद्ध तरीके से परिवहन से लेकर शिक्षण तक वे तमाम गतिविधियां फिर से शुरू की जाएंगी जिन पर पाबंदी लगी हुई थी. कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश भर में...

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कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को बड़ी कामयाबी

-सत्याग्रह,  कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने की दिशा में एक अहम शुरुआती कामयाबी मिली है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक वैक्सीन का बंदरों पर परीक्षण कामयाब रहा है. हालांकि यह छोटा सा अध्ययन था और इसे सिर्फ छह बंदरों पर किया गया. लेकिन इसके नतीजे इतने उत्साहजनक रहे हैं कि इसी महीने से वैक्सीन का इंसानों पर परीक्षण यानी ह्यूमन ट्रायल शुरू...

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हाल-फिलहाल में जारी हुई अधिकांश रिपोर्टें बता रही हैं कि अर्थव्यवस्था का पहिया थमने वाला है!

अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक, आधिकारिक एजेंसियों और निजी संस्थाओं द्वारा जारी की गईं अधिकांश रिपोर्टें और अध्ययन कोरोनवायरस महामारी से अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़ने वाले प्रलयकारी प्रभावों की तरफ इशारा करते हैं. उनका अनुमान है कि दुनिया भर के विभिन्न देशों द्वारा COVID -19 (यानी सोशल डिस्टेंसिंग और क्वॉरंटीन) को कम करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित आर्थिक विकास को प्रभावित करेंगे और अधिकांश क्षेत्रों में...

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विदेश में दिन-रात मेहनत कर कोरोना की वैक्सीन टेस्ट कर रही हैं ये इंडियन हीरो

-लल्लनटॉप,  ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की टीम जोर शोर से कोरोनावायरस की वैक्सीन बनाने में लगी हुई है. इसे क्लिनिकल ट्रायल के लिए भेज दिया गया है. अगर इसका असर दिखाई देता है, तो फिर वैक्सीन बड़ी संख्या में बनानी शुरू की जाएगी. इस पूरे प्रोसेस में एक नाम उभर कर सामने आया है. वो है चंद्रा दत्ता का. कोलकाता की चंद्रा वैक्सीन बनाने वाली टीम में क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजर के पद पर हैं....

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यह बात बारहा सामने आई है कि कोरोना जैसी किसी भी महामारी से सर्वाधिक मौतें भारत में होंगी

-न्यूजलॉन्ड्री, इंडियन जर्नल फ़ॉर मेडिकल रीसर्च के मार्च 2018 के संस्करण में ललित कांत और उनके सहकर्मी रणदीप गुलेरिया ने एक लेख लिखा था. इसका शीर्षक था “पैंडेमिक फ़्लू 1918: आफ़्टर हंड्रेड ईयर इंडिया इज़ ऐज़ वल्नरेबल.” इस लेख का मुख्य बिंदु था कि हिंदुस्तान की स्वास्थ्य सेवाओं की जैसी जर्जर हालत है उसे देखते हुए अगर स्पैनिश इनफ़्लुएंज़ा जैसी कोई भी महामारी दुनियां में फैलती है तो विश्व में सर्वाधिक...

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