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ओडिशा में हाथी गलियारों के मामले में कार्रवाई न करने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी

डाउन टू अर्थ, 17 मार्च ओडिशा में हाथी गलियारों को अधिसूचित करने के अदालत के आदेश का पालन न करने के मामले में एनजीटी ने नाराजगी व्यक्त की है। इसके लिए कोर्ट ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक और ओडिशा के मुख्य वन्यजीव वार्डन को फटकार लगाई है। मामले में ट्रिब्यूनल ने 14 मार्च 2023 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन, ओडिशा को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।...

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दिल्ली-एनसीआर में एक मार्च से काम शुरू कर सकते हैं नियमों का पालन करने वाले ईंट भट्ठे: सुप्रीम कोर्ट

डाउन टू अर्थ,2 मार्च सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नियमों का पालन करने वाले सभी ईंट भट्ठों को 1 मार्च से काम शुरू करने की हरी झंडी दे दी है। यह आदेश 27 फरवरी, 2023 को दिया गया है। गौरतलब है कि एनसीआर ईंट भट्ठा एसोसिएशन के वकील ने कोर्ट में प्रस्तुत किया था कि संबंधित राज्यों में ईंट भट्ठे हर साल 1 मार्च से काम करना शुरू कर...

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राष्ट्रीय जस्ट ट्रांजिशन योजना भारत के लिए क्यों है जरूरी

 कार्बनकॉपी, 22 फरवरी कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पिछले 7 दिसंबर को लोकसभा में कहा था कि फिलहाल सरकार की जस्ट ट्रांजिशन (न्यायोचित परिवर्तन) पॉलिसी शुरू करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘निकट भविष्य में कोयले से ट्रांजिशन नहीं हो रहा है’ और भले ही नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दिया जा रहा हो, लेकिन देश के ‘ऊर्जा उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण रहने वाली...

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भारत में लिथियम खोज एक उम्मीद की किरण, खदान से बैटरी बनने तक एक लंबी यात्रा बाकी

मोंगाबे हिंदी, 20 फरवरी भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा जम्मू और कश्मीर में लिथियम भंडार की प्रारंभिक खोज पर हाल ही में की गई घोषणा ने दुर्लभ क्षार धातु पर निर्भर कई उद्योगों को उत्साहित किया है। जीएसआई के अनुसार, इसने जम्मू और कश्मीर में रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में ‘लिथियम के अनुमानित भंडार’ की खोज की है – जिनकी गणना सतह और नमूनों के भौतिक और रासायनिक अध्ययन के...

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क्या महंगा पड़ सकता है ईंधन के लिए गन्ने का उपयोग?

द थर्ड पोल, 14 फरवरी उत्तर प्रदेश में मेरठ के बाहरी इलाके में पिछले कुछ महीनों से बड़ी-बड़ी चिमनियां लगातार धुंआ उगल रही हैं। अक्टूबर से अप्रैल गन्ना-पेराई का मौसम होता है। गन्ने की मदद से भी इथेनॉल बनता है। इस दौरान यहां की चीनी मिलें चालू रहती हैं। बिजली पैदा करने के लिए गीले पौधों के कचरे को जलाया जाता है, जिससे धुआं पैदा होता है, जो वातावरण में मंडराता...

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