भारत में किसानों की आत्महत्या को लेकर छिड़ी बहस के बीच अमरीका में किसानों को अनुदान दिए जाने के बारे में एक दिलचस्प रिपोर्ट आई. 1997 से 2008 के बीच भारत में करीब दो लाख किसानों ने बढ़ते कर्ज के कारण होने वाले अपमान से बचने के लिए अपनी जान देने का आत्मघाती कदम उठाया. इन किसानों को सरकार से किसी प्रकार की सीधी सहायता नहीं मिली थी. अमरीका ने 1995...
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रह गई न गरीब की बेटी 12वीं पास
हरिद्वार। मुफलिसी के जीवन में सुनहरी भोर आएगी। गरीब की बेटी बीए पास ही नहीं, बल्कि आगे की शिक्षा भी लेकर खुद के पैरों पर खड़ी हो पाएगी। यही सोचकर प्रदेश सरकार ने गौरा देवी कन्या धन योजना शुरू की थी, लेकिन यह योजना अपने मकसद से भटकती जा रही है। कई पात्र सरकार की लापरवाही से इसके लाभ से वंचित हो रहे हैं। जनपद में वर्ष-2006-07 में गौरा देवी कन्या धन योजना...
More »इस गांव के घरों में नहीं लगते दरवाजे
इलाहाबाद। आज के समय में जहां बढ़ती चोरी और लूट की घटनाओं से सबक लेकर लोग अपने घरों में सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के पुख्ता इंतजाम करते हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गांव है, जहां स्थानीय लोग अपने घरों में दरवाजे तक नहीं लगाते। उनकी मान्यता है कि मां काली उनके घरों की रक्षा करती हैं। इलाहाबाद जिले के कोरांव क्षेत्र स्थित दलित बहुल सिंगीपुर गांव के मकानों में यह समानता देखने...
More »रोटी को तरसते लोग, गोदामों में सड़ते अनाज
नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...
More »कृषि, कर्ज और महंगाई की चुनौतियां
नई दिल्ली [भारत डोगरा]। जहां एक ओर कृषि नीति के सामने महंगाई व किसानों के कर्ज की ज्वलंत समस्याएं हैं, वहीं दूसरी ओर जलवायु बदलाव के संकट से जूझना भी जरूरी है। वैसे तो पहले भी यह बार-बार अहसास हो रहा था कि न्याय, समता व पर्यावरण हितों की रक्षा और खेती में टिकाऊ प्रगति के लिए कृषि-नीति में बदलाव जरूरी हो गए हैं। अब जब जलवायु बदलाव के कुछ दुष्परिणाम नजर आने लगे हैं और...
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