नयी दिल्ली। दिल्ली में 22 दिसंबर के बाद प्लास्टिक बैग न तो बनाए जा सकेंगे, न बेचे जा सकेंगे और न ही उन्हें रखने की इजाजत होगी। प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल को पूरी तरह बंद किए जाने के मकसद से दिल्ली सरकार ने 22 दिसंबर की आखिरी समयसीमा तय की है । पर्यावरण विभाग के आला अधिकारियों ने कहा कि प्लास्टिक बैग बनाने और बेचने के काम में लगे कारोबारियों को आदेश...
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जलवायु संकट के बादल- अतुल कुमार सिंह
जनसत्ता 26 अक्टुबर, 2012: भारत समेत दुनिया के सामने दो सबसे अहम समस्याएं भुखमरी और जलवायु संकट हैं। ये दोनों ऐसे मुद्दे हैं जिनसे न केवल मानवता के भविष्य बल्कि पूरे जीव-जगत और अंतत: दुनिया के अस्तित्व का प्रश्न जुड़ा हुआ है। विश्व भर में इन मुद्दों पर खासी चर्चा और चिंताएं भी हैं। लेकिन इनसे निपटने के लिए जो उपाय सामने आ रहे हैं उनमें न तो मुकम्मलपन दिखता है और...
More »विस्थापन का विकास- भारत डोगरा
हमारे देश में विकास के मौजूदा दौर में विस्थापन की समस्या बहुत विकट हो गई है। एक ओर पहले हुए विस्थापन से त्रस्त लोगों को अभी न्याय नहीं मिल पाया है, तो दूसरी ओर उससे भी बड़े पैमाने पर किसान और विशेषकर आदिवासी किसान नए सिरे से विस्थापित हो रहे हैं। हाल ही में जन सत्याग्रह संवाद के कार्यक्रम के अंतर्गत देश के लगभग साढ़े तीन सौ जिलों में भूमि संबंधी...
More »गेहूं का उत्पादन घटाइए- भरत झुनझुनवाला
गत वर्ष गेहूं का रिकार्ड उत्पादन हुआ था. पूर्व के स्टॉक भी पर्याप्त मात्र में उपलब्ध थे. इस परिस्थिति में सरकार ने 2011 में गेहूं के निर्यात की स्वीकृति दे दी थी. कुछ निर्यात हुए भी हैं. गेहूं का उत्पादन हमारी जरूरतों से ज्यादा है. इस असंतुलन को ठीक करने के दो उपाय हैं. एक यह कि गेहूं की खपत अथवा निर्यात बढ़ाया जाये. दूसरा यह कि गेहूं का उत्पादन घटाया...
More »हमारे लोकतंत्र का संकट- शिवदयाल
जनसत्ता 16 अक्टुबर, 2012: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, सवा अरब लोगों का। छह-सात प्रतिशत की दर से बढ़ती अर्थव्यवस्था। पर इसकी अधिकांश आबादी को अब तक ‘ट्रिकल डाउन’ यानी अमीरों के उपभोग से रिस कर मिलने वाले लाभ का ही आसरा है। छीजते जाते संसाधन, बिगड़ता जाता पर्यावरण, जलावतनी और विस्थापन, एक-दूसरे को काटती और खारिज करती पहचानें, लगभग एक-तिहाई से भी अधिक भूभाग सैन्यबलों के भरोसे, और इतने पर भी धन...
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