प्रिय प्रधानमंत्री जी, मुझे यह जानकर खुशी हुई कि सुप्रीम कोर्ट को ‘‘सम्मानपूर्वक’’ फटकारते हुए आप ने कहा है कि अनाज, सड़ते हुए खाद्यान्न का निपटारा जैसे सभी सवाल नीतिगत मामले हैं. आप बिल्कुल सही कह रहे हैं और बहुत दिनों बाद ऐसा किसी ने कहा है. ऐसा कर आप संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सार्वजनिक बयानबाजी में ईमानदारी लाने की एक छोटी-सी कोशिश कर रहे हैं, जिसकी बहुत कमी महसूस की जा रही थी. बेशक यह...
More »SEARCH RESULT
कड़वे बादाम : दिल्ली के बादाम उद्योग में मज़दूरों का शोषण
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दूर-दराज़ कोने में बसी हुई, शोर-ग़ुल और चहल-पहल भरी करावलनगर की बस्ती, अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों का एक उभरता हुआ केन्द्र है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर और उनके परिवारों को रोज़गार मिलता है। ये उद्यम किसी भी मानक से छोटे नहीं है। वैश्विक सम्बन्धों की जटिल श्रृंखला में बँधे ये उद्यम, सालभर चालू रहते हैं और हज़ारों मज़दूरों के रोज़गार का स्रोत हैं। कई करोड़...
More »कृषि मंत्री साहू का विदेश दौरा सवालों के घेरे में
रायपुर. कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू के विदेश दौरे को केंद्र सरकार ने अनुमति नहीं दी है। साहू यूएन कांफ्रेंस में भाग लेने के लिए १६ जून को ही ब्राजील गए हैं। इसके बाद उन्हें अमेरिका जाना है। अधिकृत घोषित नहीं किए जाने से कृषि मंत्री के दौरे को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने केंद्रीय विदेश मंत्रालय को 29 मई 2012 को पत्र लिखकर कृषि मंत्री...
More »20 हजार की चादर पर सोते हैं रमन सिंह, टॉयलेट पर खर्चे 5 लाख रुपये
रायपुर. देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शुमार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह का निजी खर्च सुनकर हो सकता है कि आपके होश उड़ जाएं क्योंकि जिस देश में 32 रुपये से अधिक खर्च करने वाले व्यक्ति को गरीब नहीं माना जाता है, उसी देश के एक सबसे पिछड़े राज्य के मुख्यमंत्री का मामूली चीजों पर खर्च हजारों, लाखों में है। सूचना के अधिकार कानून तहत मांगी गई जानकारी के अनुसार, शाहखर्च मुख्यमंत्री रमन...
More »शहर और गांव- एक देश की दो कहानी
देश में मौजूद विषमता की बात करते हुए अकसर कहा जाता है, यहां दो देश बसते हैं, एक भारत तो एक इंडिया। हाल के सालों में इसपर बहसें भी खूब हुई हैं और अब खुद एक सरकारी रिपोर्ट से जान पड़ता है कि अपने देश में “भारत” की सच्चाई कुछ और है, “इंडिया” की कुछ और। एक ऐसे समय में जब शहरी भारत की तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है और यही चलन नीति-निर्माताओं को पसंद भी आ...
More »