नई दिल्ली. देश में भूख से मौतों के बढ़ते मामलों से सुप्रीम कोर्ट चिंतित है। उसने केंद्र से पूछा है कि जब अनाज के गोदाम लबालब भरे हैं। बंपर फसल भी हुई है। फिर भी देश में भुखमरी के मामले क्यों बढ़ रहे हैं। साथ ही शीर्ष कोर्ट ने गरीबी की रेखा से नीचे के लोगों (बीपीएल)की संख्या हर राज्य में केवल 36 फीसदी मानने पर भी योजना आयोग को कड़ी फटकार लगाई।...
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हजारे के आंदोलन के लिए लोगों ने दिल खोलकर दिया दान
नई दिल्ली. जनलोकपाल बिल के लिए जंतर-मंतर पर पांच दिन तक चले अन्ना हजारे के आंदोलन में लोगों ने अपने तन-मन से ही नहीं, बल्कि धन देकर भी समर्थन जताया था। अभियान का नेतृत्व कर रही संस्था इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) को नकद, चेक व फंड ट्रांसफर के जरिए करीब ८३ लाख रुपए प्राप्त हुए हैं और दानप्राप्ति का सिलसिला जारी है। संस्था के सदस्य आज अपनी-अपनी संपत्तियों की घोषणा करेंगे। लोकपाल...
More »आम आदमी का आंदोलन- अजय सिंह
अन्ना हजारे के आमरण अनशन पर राजनीतिक दलों में एक अजीब सी सहमति है. समाजवादी पार्टी के मोहन सिंह और राष्ट्रीय जनता दल के रघुवंश प्रसाद सिंह को विरोध के इस स्वरूप में फ़ासीवाद की झलक दिखाई दे रही है. संघी मानसिकता के बुद्धिजीवियों को अन्ना हजारे का विरोध प्रजातंत्र विरोधी लग रहा है. कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को यह अराजक और खतरनाक दिखायी दे रहा है. वामदलों को भी...
More »आरटीआई कानून- हंगामा है क्यों बरपा ?
जो कभी इसके पैरोकार थे वही सूचना का अधिकार अधिनियम के कानूनी शक्ल लेने के पाँच साल बाद इतने चिन्तित क्यों है ? किस लिए एक बार फिर से इस मुद्दे पर धरना, रैली, सम्मेलन और भूख-हड़ताल की बाढ़ सी आई हुई है ? इसकी एक वजह तो यही है कि सूचना का अधिकार कानून से जिस मौन क्रांति का चक्का चल पडा है, उसकी गति को निहित स्वार्थवश किए...
More »राजस्थान में आदिवासी अधिकारों की अनदेखी
सामाजिक अधिकारिता के कानूनों के होने भर से किसी समुदाय के सशक्तीकरण की गारंटी होती तो राजस्थान का आदिवासी समुदाय ना तो शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित रहता और ना ही अपनी जीविका के जरुरी साधन जमीन से। मिसाल के लिए इन तथ्यों पर गौर करें।राजस्थान की कुल आबादी में आदिवासी समुदाय की तादाद १२.४४ फीसदी है और साक्षरता-दर है ४४.७ फीसदी जबकि सूबे की औसत साक्षरता दर इससे कहीं ज्यादा ऊंची(६१.०३ फीसदी) है। क्या शिक्षा...
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