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सिंचाई की बढ़ती संभावना और घटता उपयोग

मॉनसून के अस्थिर मिज़ाज की मार सहती खेती के इस वक्त में आई एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में सिंचाई का आधारभूत ढांचा ठहराव का शिकार है।   सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैटिक्स 2014 के तीसरे अंक में कहा गया है कि सिंचाई के आधारभूत ढांचे पर खर्च बढ़ा है लेकिन सकल सिंचाई संभावनाओं(ग्रॉस इरीगेशन पोटेंशियल) के इस्तेमाल के मामले में विशेष प्रगति नहीं हुई है।(देखें नीचे रिपोर्ट...

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सीएनटी एक्ट में संशोधन आवश्यक- प्रभाकर तिर्की

जो छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम को जानते हैं, वे स्पष्ट रूप से यह कह सकते हैं कि इस कानून में आज की परिस्थिति में संशोधन का मतलब यह नहीं है कि पूरी कानून में संशोधन हो जाये. समय-समय पर परिस्थिति की समीक्षा करते हुए कानून की कुछ धाराओं, कुछ खंडों, कुछ शब्दों में संशोधन आवश्यक होता है, ताकि उसके प्रतिकूल प्रभावों को रोका जा सके. सीएनटी एक्ट में उसके लागू होने...

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भ्रष्टाचार से लड़ने के जोखिम- धर्मेन्द्रपाल सिंह

जनसत्ता 8 अक्तूबर, 2014: प्रतिष्ठित पत्रिका ‘टाइम्स' ने 2011 में अपने एक अंक में दुनिया भर में हुए महाघोटालों की सूची प्रकाशित की थी। इस सूची में हमारे देश में हुए पौने दो लाख करोड़ रुपए के 2-जी घोटाले को दूसरा स्थान दिया गया। पहले नंबर पर अमेरिका का बदनाम वाटरगेट कांड था, जिसके खुलासे के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को त्यागपत्र देना पड़ा और उनकी सरकार में उच्च...

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कैसे पूरा होगा स्वच्छ भारत का सपना- पत्रलेखा चटर्जी

जिस देश में मोबाइल फोन की संख्या निजी टॉयलेट से कहीं अधिक है, वहां स्वच्छ भारत अभियान की सफलता की रातोंरात अपेक्षा नहीं की जा सकती। लोगों की सहभागिता के बगैर इसमें कामयाबी की उम्मीद करना बेमानी होगा, और यह संवाद के जरिये ही मुमकिन है। एक मित्र की टिप्पणी थी कि अगर कोई झाड़ू कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध होती, तो इन दिनों इसके शेयर आसमान छू रहे होते। महात्मा...

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क्या गरीबी कभी खत्म हो सकती है?- लार्ड मेघनाद देसाई

लॉर्ड मेघनाद देसाई भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और लेबर पार्टी से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं. वह अर्थशास्त्र के विश्वविख्यात संस्थान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उनके 200 से ज्यादा लेख अकादमिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं. वह कई भारतीय व ब्रिटिश अखबारों के लिए नियमित स्तंभ लिखते हैं. 5 सितंबर 2014 को उन्होंने पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में...

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