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सक्रिय अदालत के बेमिसाल फैसले-- कमलेश जैन

इस साल अदालतों की सक्रियता खूब दिखी। ऐसे कई फैसले आए, जो ऐतिहासिक साबित हुए। इन फैसलों से यह खासतौर से लगा कि न्यायालय महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिलाने और समाज में फैली असमानता को दूर करने को लेकर काफी गंभीर है। हालांकि उसकी यह गंभीरता पहले भी कई बार दिखी है। जैसे, शीर्ष अदालत ने ही बलात्कार के मामलों में पीड़िता को दोषी मानने वाले प्रावधान खत्म...

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लैंगिक भेदभाव के खिलाफ खड़ा साल--

साल 2018 भारत की महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। अधिकारों के नजरिए से देखें, तो उन्होंने फिर से अपना सही मुकाम हासिल किया। यह वर्ष देश की शीर्ष अदालत द्वारा महिलाओं के पक्ष में ऐतिहासिक फैसले सुनाने का भी गवाह बना। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को रद्द किया, महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में पूजा-अर्चना के सांविधानिक अधिकार दिए, ‘तीन तलाक' खत्म किया, एडल्टरी यानी व्यभिचार को...

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भारतीय संविधान मुसलमानों को अल्पसंख्यक नहीं कहता, तो फिर किसने उन्हें अल्पसंख्यक बनाया?

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का प्रभार संभालने के तुरंत बाद 2014 में नजमा हेपतुल्ला ने मुसलमानों के अल्पसंख्यक दर्ज़े को लेकर एक ज़बरदस्त टिप्पणी की. उन्होंने कहा, ‘यह मुस्लिम मामलों का मंत्रालय नहीं है, यह अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय है ... मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं.' हेपतुल्ला का दावा जायज़ है. संविधान अल्पसंख्यक शब्द को परिभाषित नहीं करता है. संख्या की दृष्टि से छोटे किसी समुदाय की विशिष्टता को अल्पसंख्यक दर्ज़े के...

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1 जनवरी से फिर शुरू होगी इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री, 10 जनवरी तक रहेगा मौका

लेक्टोरल बांड्स की सातवीं खेप की बिक्री 1 से 10 जनवरी तक की जाएगी. वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को राजनीतिक चंदे के लिए नकदी के एक विकल्प के रूप में पेश किया गया है. राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारर्दिशता लाने के लिए यह व्यवस्था शुरू की गई है. मंत्रालय ने बयान में कहा कि इस योजना के तहत भारतीय स्टेट बैंक...

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दक्षिण ने इस साल नई करवट ली -- एस श्रीनिवास

जब 2018 अपनी ढलान की ओर था, तभी सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। यह फैसला सभी उम्र की औरतों को भगवान अयप्पा की पूजा करने का अधिकार देता है और धार्मिक मामलों के सामूहिक प्रबंधन पर पूजा-अर्चना की व्यक्तिगत स्वतंत्रता, गरिमा और समानता के सांविधानिक अधिकारों की रक्षा करता है। अयप्पा मंदिर प्रबंधन 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं देता,...

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