बेमौसम बारिश और आंधी-तूफान का सबसे ज्यादा खामियाजा इस बार अगर किसी उठाना पड़ा है तो वो किसान हैं। जिनकी बर्बाद फसलों ने उन्हें इसकदर तोड़ दिया कि वह खुद को संभालने में ही असफल होते जा रहे हैं। शायद इसीलिए देश के अलग-अलग हिस्सों से किसानों के आत्म हत्या की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे में एक किसान ऐसा भी मिला जो अपनी बर्बाद फसलों को देखकर ऐसा दुखी...
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खाली हैं अन्न उपजाने वाले हाथ- देविन्दर शर्मा
कृषि मोर्चे पर एक नया संकट आ गया है। सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार द्वारा किसानों को फसल उत्पादन की कुल लागत पर 50 प्रतिशत लाभ देने में असमर्थता जताने के बाद तलवारें खिंच गई हैं। मार्च के मध्य से ही कई किसान संगठन इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि उनके साथ विश्वासघात हुआ है। वाकई लोकसभा चुनाव के दौरान ही...
More »किसानों को बिना मौजूदा कर्ज चुकाए अगली फसल के लिए मिलेगा लोन
नई दिल्ली। असमय बारिश के कारण जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है, उन्हें राहत देने के लिए सरकार ने कर्ज पुनर्गठन (लोन रीस्ट्रक्चर) करने का निर्णय किया है। कर्ज पुनर्गठन के बाद प्रभावित किसानों को न सिर्फ मौजूदा ऋण चुकाने के लिए अगले फसल चक्र तक का वक्त मिलेगा बल्कि वे खरीफ फसल के लिए भी बैंकों से कर्ज ले सकेंगे। आमतौर पर किसानों को बिना पिछला फसल ऋण...
More »मोदी-राजन : पहले आप का खेल - नंटू बनर्जी
मंगलवार को नए वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति जारी करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने वही किया, जिसकी कि उनसे उम्मीद की जा रही थी। उन्होंने यथास्थिति कायम रखते हुए रेपो रेट और कैश रिजर्व रेशियो को पूर्ववत रखा है। कॉर्पोरेट जगत ने इस पर निराशा जताई है, लेकिन यदि हम राजन की स्थिति को समझने की कोशिश करें तो पाएंगे कि वे इसके अलावा कुछ...
More »फायदे से ज्यादा होगा नुकसान - जयराम रमेश
निश्चित रूप से 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय करों का बड़ा हिस्सा राज्यों को हस्तांतरित किए जाने का निर्णय एक बड़ा कदम है, जो हाल में पेश किए गए बजट का मुख्य बिंदु रहा है। वित्त आयोग ने सुझाव दिया था कि केंद्र द्वारा वसूले जाने वाले करों का 42 फीसदी हिस्सा राज्यों को दे दिया जाए। अभी तक केंद्र द्वारा राज्यों को 32 प्रतिशत हिस्सा...
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