जनसत्ता 23 जून, 2012: अगर हमारे देश में ग्रामीण निर्धन वर्ग और विशेषकर भूमिहीन वर्ग को टिकाऊ तौर पर संतोषजनक आजीविका मिले इसके लिए भूमि-सुधार बहुत जरूरी है। इसके अलावा, अन्यायपूर्ण भूमि अधिग्रहण द्वारा जिस तरह तेजी से बहुत-से किसानों खासकर आदिवासियों की जमीन लेकर उन्हें भूमिहीन बनाया जा रहा है, उस पर रोक भी लगानी होगी। ऐसे महत्त्वपूर्ण सवालों के न्यायसंगत समाधान के लिए इस वर्ष के आरंभ से एक प्रयास...
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भ्रष्टाचार की गंगा का मुहाना बंद करना होगा- पी साईनाथ (अनुवाद मनीष शांडिल्य)
मनमोहनॉमिक्स के करीब 20 साल पूरे हो रहे हैं, अतः उस कोरस को याद करना बहुत वाजिब होगा, जिसका राग मुखर वर्ग पहले तो खूब गर्व से और फिर खुद को दिलासा देने के लिए अलापता रहा हैः 'आप चाहे जो भी कहें, हमारे पास डॉ मनमोहन सिंह के रूप में सबसे ईमानदार आदमी हैं. उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला जा सकता'. लेकिन ऐसा अब कम सुनने को...
More »फेसबुक और पश्चिमी पूंजीवाद- केविन रैफर्टी
सिंगापुर में बीबीसी वर्ल्ड बिजनेस न्यूज का प्रस्तुतकर्ता खुशी-खुशी इस संभावना के बारे में बात कर रहा था कि अपने आईपीओ के मार्फत फेसबुक एक ‘ट्रिलियन डॉलर कंपनी’ बन सकती है। जाहिर है वह गलत था। फेसबुक का कमजोर प्रदर्शन इस बात की ओर साफ इशारा करता है कि पश्चिमी पूंजीवाद पटरी से उतरता जा रहा है। तथाकथित वैश्विक नेता महज वक्त जाया कर रहे हैं, जबकि बुनियादी संरचनाओं के समक्ष गंभीर संकट...
More »शहर अंदर ‘समंदर’- शिरीष खरे की रिपोर्ट(तहलका, हिन्दी)
यह राजस्थान में जोधपुर शहर के यूएस बूट हाउस का एक जादुई बेसमेंट है. जादुई इसलिए कि यह शहर शुष्क रेगिस्तान के मुहाने पर बसा है लेकिन इस बेसमेंट में बारहमासी पानी रिसता रहता है. हालांकि इसकी नींव में कई सालों से पानी रिसता रहा है, लेकिन बीते दो साल से पानी इस स्तर तक बढ़ गया कि पांच पंपों से 24 घंटे पानी उलीचने पर भी यह कम होने का...
More »FDI की राह सरकार के लिए हुई कुछ आसान
सरकार के लिए बीमा, मल्टी ब्रांड रिटेल और मीडिया जैसे क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने की राह कुछ और आसान हो गई है। रिजर्व बैंक ने अपने एक अध्यय के आधार पर बीमा, मल्टी ब्रांड रिटेल और मीडिया सहित कुछ अन्य सेक्टरों में एफडीआई बढ़ाने की वकालत की है। इसमें आरबीआई ने कहा है कि भारत को अगर ग्लोबल अर्थव्यवस्था के साथ कदम मिलाकर चलना है, तो विदेशी...
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