2001 की जनगणना के ही अलग-अलग आकड़ों के जोड़-घटाव से एक अहम सवाल उभरता है. पहले आंकड़े के मुताबिक देश के 8 करोड़ 50 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते. दूसरे आंकड़े में 5 से14 साल उम्र के एक करोड़ 30 लाख बच्चे मजदूर हैं. अगर 8 करोड़ 50 लाख में से 1 करोड़ 30 लाख को घटा दें, तो सात करोड़ 20 लाख बचते हैं. यह उन बच्चों की संख्या है...
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रोटी की बहस और बहस की जमीन- चंदन श्रीवास्तव
सलाह मिल गयी है. खाद्य-सुरक्षा विधेयक का मसौदा अपनी परिणति तक आ पहुंचा है. लोग जान गये हैं कि यूपीए सरकार ना सही सबको तो भी कम-से-कम 80 फ़ीसदी लोगों को सस्ता अनाज देने जा रही है. लोग खुश हैं या नहीं, कहा नहीं जा सकता. भोजपुरी में एक कहावत है-ये सूरदास घीव कड़कड़ाईल बा और सूरदास का जवाब कि थरिया में पड़ो तब नू. खाद्य-सुरक्षा के मामले में जनता-जनार्दन...
More »मुफ़्त शिविर में ठगी गई आँखें'
मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य मंडला ज़िले में एक चैरिटेबल अस्पताल में आंख के ऑपरेशन के बाद एक साथ 29 लोगों की आंखें ख़राब होने का मामला सामने आया है. इनमें से 25 लोगों को बाद में नक़ली आंखें लगाई गई. योगीराज चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित इस अस्पताल में इसी साल 11 सितंबर को दूरदराज के गांवों से लाए गए 30 लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए गए थे. ये सारे ही ऑपरेशन...
More »आरटीआई ने कामवाली को बनाया करोड़ों की मालकिन
इसे सूचना अधिकार [आरटीआई] का ही कमाल कहेंगे कि जो वृद्ध महिला कल तक लोगों के घरों में झाड़ू-पोंछा लगाकर अपनी जिंदगी बसर कर रही थी वह आज करोड़ों की संपत्ति की मालकिन है। आरटीआई के पांच साल पूरे होने पर गुजरात में इसकी पड़ताल करने पर इसकी कई सफल कहानियां सामने आई हैं। इन्हीं में एक लक्ष्मी बेन पंड्या की भी कहानी है। अहमदाबाद के राणिप इलाके...
More »मनरेगा- कहीं नरम , कहीं गरम
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना(मनरेगा) के बारे में ज्यादातर खबरें या तो उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार की होती हैं या फिर योजना की कारआमली में हो रही ढिलाई की। सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में मनरेगा पर कुल 40 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं लेकिन शहराती मध्यवर्ग का एक बड़ा तबका और जनमत-निर्माता इसी पसोपेस में हैं कि आखिर इन रुपयों से कुछ सार्थक हो भी रहा है या नहीं। नुक्ताचीनी की बातों...
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