राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में सिलसिलेवार सामाजिक अंकेक्षण से नरेगा के कामों में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। सामाजिक अंकेक्षण की एक परिणति कई सरकारी अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने में हुई है । सामाजिक अंकेक्षण से नरेगा के अंतर्गत काम करने वाले मजदूरों को करोड़ों रुपये की बकाया मजदूरी का भुगतान भी हासिल हो सका है।(देखें कृपया नीचे दी हुई लिंक)।नरेगा के काम में...
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निर्णायक कार्रवाई, निशाने पर आदिवासी!
नई दिल्ली [इरा झा]। नक्सलियों पर निर्णायक कार्रवाई को लेकर सरकार इस बार गंभीर नजर आ रही है, मगर उसकी तैयारी अब भी अधूरी ही दिखाई पड़ रही है। केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम के लगातार आ रहे बयानों से ऐसा लगता है कि अब कभी भी नक्सल पीड़ित सात राज्यों में उनके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इस बीच ऐसे विज्ञापनों के दौर भी चल रहे हैं, जिनसे...
More »बालको हादसा : मजदूरों की जान जोखिम में
रायपुर। राज्य निर्माण के नौ वर्ष में बेशक छत्तीसगढ़ ने तेजी से तरक्की की है और यहां औद्योगिक विकास भी खूब हुआ है, लेकिन इन सब के बावजूद बालको हादसे ने यह साबित कर दिया है कि उद्योग सुरक्षा मापदंडों का पालन करने में कहीं न कहीं कोताही बरत रहे हैं और मजदूरों की जान जोखिम में है। राज्य के कोरबा जिला मुख्यालय से लगे भारत एल्यूमीनियम कंपनी लिमिटेड के...
More »उत्तराखंड की बांध परियोजनाएं-किसको क्या मिला?
नये राज्यों के गठन के पीछे एक तर्क उनके आर्थिक विकास का दिया जाता है। छत्तीसगढ़ और झारखंड के साथ-साथ उत्तराखंड का गठन नये राज्य के रुप में हुआ तो जातीय पहचान के साथ-साथ इन राज्यों के आर्थिक विकास का भी तर्क दिया गया था। उत्तराखंड को अस्तित्व में आये अब तकरीबन नौ साल पूरे हो रहे हैं। चिपको आंदोलन समेत कई जनआंदोलनों की जन्मभूमि रहे उत्तराखंड में फिलहाल बांध...
More »कोसी का कहर
कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...
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