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छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों से चावल की सप्लाई बंद

रायपुर। सूखे की आहट के बीच छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में अनाज कारोबारियों ने सप्लाई बंद कर खुद ही चावल की खरीदी शुरू कर दी है। इसका कारण है कि अब चावल गोदामों से निकल नहीं रहा, किसान ने भी अपनी कोठी बंद कर रखी है। इसके कारण चावल बाजार ने महंगाई की राह पकड़ ली है। यहां के राइस मिलर्स और धान कारोबारी भी चिंतित हैं। छत्तीसगढ़ के...

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शिक्षा के नाम पर राजनीति- मनीषा प्रियम

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षामित्रों की नियुक्ति रद्द करने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक फैसले से देश में बच्चों की शिक्षा को लेकर राजनेताओं की मंशा पर सवाल पैदा हुआ है। मुद्दा उत्तर प्रदेश में यह था कि मायावती की सरकार ने 1999 में शिक्षकों की नियुक्ति संविदा के आधार पर की। ये शिक्षक पंचायत शिक्षामित्र कहलाए। इनके लिए वांछित न्यूनतम योग्यता पूर्णकालिक शिक्षकों के लिए...

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यूपीः शॉर्टकट तरीका अपनाकर बनाए गए शिक्षक

प्राइमरी स्कूलों में सहयोग के लिए रखे गए शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने के लिए शॉर्टकट तरीका अपना गया। इन्हें दो वर्षीय प्रशिक्षण देकर तीन चरणों में समायोजित किया जाना था। जनवरी 2014 में 60,000, दिसंबर 2014 में 64,000 और सितंबर 2015 में 46,000 यानी कुल 1 लाख 70 हजार शिक्षा मित्रों को समायोजित किया जाना था, लेकिन केवल दो चरणों में ही 1,35,826 को समायोजित कर दिया गया। शिक्षामित्रों के इस...

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निरक्षर अब पंचायत के दरवाजे से बाहर-- सुभाष गताडे

भू टान, लीबिया, केन्या, नाईजीरिया और भारत इन देशों में क्या समानता है? वैसे, पहले उल्लेखित चारों देश- जहां जनतंत्र अभी ठीक से नहीं आ पाया है, कहीं राजशाही तो कहीं तानाशाही, तो कहीं जनतंत्र एवं अधिनायकवाद के बीच की यात्रा चलती रहती है- और दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र कहलानेवाले भारत की किस आधार पर तुलना की जा सकती है? पिछले दिनों आये हरियाणा विधानसभा के एक फैसले...

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स्कूली शिक्षा और कोर्ट का फैसला- योगेन्द्र यादव

इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले के दो दिन बाद मेरे पास इमेल से एक अनजाने व्यक्ति की चिठ्ठी आयी. लिखनेवाली महिला कभी उत्तर प्रदेश सरकार में काम कर चुकी थीं, आजकल विदेश में हैं. चिठ्ठी बड़ी ईमानदारी और शालीनता से लिखी गयी थी. चिठ्ठी में उन्होंने पूछा कि हमने और स्वराज अभियान से जुड़े साथियों ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के उस फैसले का स्वागत क्यों किया, जिसमें सभी सांसदों, विधायकों, सरकारी अफसरों सहित...

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