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राजस्थान के स्मार्ट गांव- पत्रलेखा चटर्जी

हवा में 'स्मार्ट सिटीज' के चर्चे हैं। लेकिन मीडिया की चकाचौंध से दूर देश के अनेक गांव भी स्मार्ट होने लगे हैं। मसलन, हरियाणा में बच्चियों को बचाने की अनोखी पहल के तहत जिंद की एक ग्राम पंचायत ने, जहां अब तक लड़कों की तुलना में लड़कियों का अनुपात अब तक बहुत कम रहा है, 'सेल्फी विद डॉटर' प्रतियोगिता शुरू की है। बीबीपुर ग्राम पंचायत ने यह प्रतियोगिता शुरू की...

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असहिष्णु होता समाज और हिंसा का उत्सव

बिहार के नालंदा में एक निजी स्कूल के निदेशक को सरेआम पीट-पीटकर मार डाला गया। देखने में, यह घटना स्थानीय लोगों के गुस्से की अभिव्यक्ति लगती है। स्कूल के दो बच्चों के गायब होने और फिर उनकी लाश मिलने के बाद लोगों का क्रोध भड़क उठा था। दो मासूमों की मौत काफी पीड़ादायक घटना है और उनकी लाश मिलने पर गुस्सा भी स्वाभाविक है, पर गुस्से में हत्या की वारदात...

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'एक बड़े पत्रकार, एक सच्चे मानवतावादी'-- अमित सेनगुप्ता

क़रीब दो हफ़्ते पहले की बात है, प्रफुल्ल बिदवई मछली खाना चाहते थे. उन्हें पता था कि मेरे पड़ोस में बंगाली खाने का कारोबार करने वाले सागर चटर्जी मेरे दोस्त हैं. चटर्जी ने साइकिल पर अपने कारोबार की शुरुआत की थी. सागर और उनकी पत्नी स्वादिष्ट पूर्वी बंगाली व्यंजन बनाते हैं. मैंने प्रफुल्ल को फ़ोन करके यहाँ खाने का न्योता दिया. उन्होंने बताया कि वो 'भारतीय वामपंथ की चुनौतियाँ' विषय पर अपनी...

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ज़हरीली शराब: 'बेवड़े नहीं परिवार के पालनहार थे'-- सुशांत एस मोहन

"बेवड़े थे, मर गए ! कहना आसान है लेकिन मालवाणी की गलियों में मरने वाले कुछ लोग बेवड़े नहीं थे बल्कि 6 लोगों के परिवार के पालनहार थे." ये गुस्से में कहती हैं इन्सावाड़ी की 30 वर्षीया सुवर्णा. इन्सावाड़ी, लक्ष्मी नगर, खोडरे ये उन छोटी छोटी कॉलोनियों के नाम हैं जिनमें मुंबई का मलवाणी इलाका बंटा हुआ है और जहां बीते एक हफ़्ते में 102 लोग ज़हरीली शराब के कारण अपनी जान...

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आपातकाल से हमने क्या सीखा- नीलांजन मुखोपाध्याय

किसी भी देश में थानेदार मानसिकता वाले लोगों की बड़ी संख्या आपको मिल जाएगी। भारत में इस तरह की सोच दरअसल औपनिवेशिक मानसिकता वाले ऐसे लोगों के जरिये आई है, जिन्हें अंग्रेजों ने स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया था। स्थानीय थाने के वे दारोगा हमारे आदर्श बने, जिनके पास निरंकुश क्षमता थी और जिन्हें अपने अधीनस्थों को किसी भी किस्म की सफाई देने की जरूरत नहीं थी। गणतंत्र...

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