ऊना (गुजरात) : गुजरात के ऊना में हजारों दलितों ने मृत गायों को नहीं हटाने का संकल्प लिया. साथ ही कहा कि अगर एक महीने के भीतर गुजरात सरकार प्रत्येक परिवार को पांच एकड़ जमीन देने की उनकी मांग को पूरा नहीं करती है तो विशाल रेल रोको आंदोलन शुरू किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक इन सबके बीच हमले की ताजा घटना के बाद फिर से तनाव व्याप्त हो गया....
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इरोम के मुद्दों से भागता समाज-- उर्मिलेश
सोलह साल बाद अपना ऐतिहासिक अनशन तोड़नेवाली मणिपुर की 44 वर्षीया इरोम शर्मिला चानू के बारे में हर कोई बात कर रहा है, पर ज्यादा लोगों की रुचि उस मुद्दे में नहीं दिखती, जिसके लिए इरोम ने अपनी जिंदगी दावं पर लगा दी. यह संयोग नहीं कि हर विचार, रंग और धारा के राजनेता और दल आमतौर पर उनके अभियान पर खामोश रहे. मीडिया यदा-कदा उनके बारे में छापता-दिखाता...
More »शाक-मांस के बीच मुल्क- नासिरुद्दीन
हमारे मुल्क के खान-पान का मिजाज मांसाहार नहीं है या इस मुल्क की बड़ी आबादी शाकाहारी है- यह भ्रम है. मिथक है. तथ्य से परे है. फिर भी ऐसा क्यों है कि हमारा मानस इसे मानने को तैयार नहीं होता है. हमें यह क्यों लगता है कि यह मुल्क असलियत में शाकाहारी है और कुछ समूह या समुदाय ही मांसाहारी हैं. सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के जून में आये...
More »जातीय संरचना, अहिंसा और अंबेडकर-- अजमेर सिंह काजल
आधुनिक काल में ज्योतिबा फुले और बाबा साहेब आंबेडकर ने शासन, सत्ता और संस्कृति के विभिन्न केंद्रों में मौजूद जातीय सैद्धांतिकी को चुनौती देकर ऐतिहासिक कार्य किया। सामाजिक समानता का जो अहसास बाबा साहेब आंबेडकर को संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन में पढ़ते हुए हुआ, वह हमारे लोकजीवन में कहीं नहीं था। इसलिए शिक्षा प्राप्ति के बाद भारत वापस आने पर उन्होंने इसी लोक जीवन में व्याप्त सदियों पुरानी बीमारियों...
More »बराबरी के हक की पुरानी लड़ाई- एस श्रीनिवासन
तमिलनाडु में उत्सवी बयार बह उठी है, क्योंकि यह ‘आदि' का महीना है। तमिल कैलेंडर का चौथा महीना। इसकी शुरुआत जुलाई के मध्य महीने में हो जाती है। मान्यता है कि ‘दक्षिणया पुण्यकाल' आरंभ हो जाता है, यानी देवताओं के लिए रात की शुरुआत। यह महीना जल और प्रकृति से जुड़ी देवियों को समर्पित है। लिहाजा पूरे राज्य में अम्मा और देवी मंदिरों में पूजा-आराधना शुरू हो जाती है। कहा...
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