-कारवां, इस साल मई में पटना के बेउर इलाके में केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना में काम करते हुए दो मजदूरों की गटर में घुसने के बाद मौत हो गई. वहां काम करने वाले तीन मजदूरों के मुताबिक उन्हें आवश्यक बचाव उपकरणों के बिना ही गटर में घुसने को कहा गया था. एक मजदूर ने मुझे बताया कि लार्सन एंड टुब्रो, जिसके पास बेउर साइट का ठेका है, के इंजीनियर ने...
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समाज के वंचित वर्गों के बच्चों के लिए बहुत कठिन है ऑनलाइन शिक्षा का रास्ता!
कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से एडटेक कंपनियों द्वारा शारीरिक कक्षाओं के विकल्प के तौर पर प्रचारित ऑनलाइन शिक्षण और शिक्षा, का हमारे देश में एक बड़ा उपभोक्ता आधार बन गया है. हालाँकि, समाज के वचिंत वर्गों में, ऑनलाइन शिक्षा का प्रभाव और फैलाव बहुत कम है. वास्तव में, हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद वर्ग और जाति-विभाजन की गहरी जड़ें डिजिटल शिक्षा तक लोगों की पहुंच को प्रभावित करता...
More »खाद्य तेलों की कीमतों पर अंकुश के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम का उपयोग करने का फैसला, कारोबारियों को देनी होगी स्टॉक की जानकारी
-गांव सवेरा, जिस आवश्यक वस्तु अधिनियम,1955 को केंद्र सरकार ने तीन नये कृषि कानूनों के तहत बदलकर स्टॉक लिमिट लगाने और स्टॉक मानिटरिंग के प्रावधानों को लगभग असंभव कर दिया था उसी के सहारे खाद्य तेलों की बेलगाम कीमतों पर अंकुश लगाने का फैसला केंद्र सरकार ने किया है। इस कानून के तहत खाद्य तेलों और तिलहनों के स्टॉक डिक्लेयर करने का प्रावधान लागू किया जा रहा है और इसके लिए...
More »ग्राउंड जीरो: गुम है रोशनी कहीं
-आउटलुक, “दुनिया के सामने तालिबान की पेश हुई उदार छवि उसके सत्ता कब्जाने के तरीके से कैसे हवा हुई और अफगानी समाज के विभिन्न तबकों का नजरिया क्या” हम पर और ताजा-ताजा कब्जे वाले काबुल पर पूरी दुनिया की नजर है। लेकिन 18 अगस्त को राजधानी से 240 किमी. उत्तर-पश्चिम के शहर से ऐसी खबर आई, जो बताती है कि अफगानिस्तान में आगे क्या होने वाला है। पहाड़ियों और रहस्यमय गुफाओं की...
More »नवीनतम पीएलएफएस डेटा, विभिन्न प्रकार के श्रमिकों के बीच अल्प-रोजगार और स्वपोषित रोजगार में अवैतनिक सहायकों पर प्रकाश डालता है
आम तौर पर, अर्थशास्त्री एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में एक विशेष अवधि में बेरोजगारी और काम से संबंधित अनिश्चितता की सीमा का आकलन करने के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) जैसे संकेतकों का उल्लेख करते हैं. हालांकि, अन्य संकेतक भी हैं, जो रोजगार की स्थिति, आजीविका सुरक्षा और श्रमिकों की बदत्तर स्थिति को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकते...
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