जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
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और चढ़ा खाद्य महंगाई का पारा
नई दिल्ली। खाने-पीने की चीजों के दामों में लगातार दूसरे सप्ताह तेजी आई है। चावल, गेहूं, दाल, दूध और फलों की कीमतों में वृद्धि के चलते 29 मई को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 16.74 प्रतिशत हो गई। इससे पूर्व सप्ताह में खाद्य पदार्थो के थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की यह दर 16.55 प्रतिशत पर थी। विशेषज्ञों के मुताबिक खाद्य महंगाई की दर में वृद्धि के इस...
More »कृषि, कर्ज और महंगाई की चुनौतियां
नई दिल्ली [भारत डोगरा]। जहां एक ओर कृषि नीति के सामने महंगाई व किसानों के कर्ज की ज्वलंत समस्याएं हैं, वहीं दूसरी ओर जलवायु बदलाव के संकट से जूझना भी जरूरी है। वैसे तो पहले भी यह बार-बार अहसास हो रहा था कि न्याय, समता व पर्यावरण हितों की रक्षा और खेती में टिकाऊ प्रगति के लिए कृषि-नीति में बदलाव जरूरी हो गए हैं। अब जब जलवायु बदलाव के कुछ दुष्परिणाम नजर आने लगे हैं और...
More »खाद्य महंगाई बढ़कर 16.44 प्रतिशत हुई
नई दिल्ली। देश की वार्षिक खाद्य महंगाई दर गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार एक मई को समाप्त हुए सप्ताह में बढ़कर 16.44 प्रतिशत रही। इससे पिछले सप्ताह में खाद्य महंगाई की दर 16.04 प्रतिशत थी। खाद्य महंगाई की दर 17 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में 16.61 प्रतिशत और 10 अप्रैल को समाप्त हुए हफ्ते में 17.65 प्रतिशत थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी थोक मूल्य सूचकांक [डब्ल्यूपीआई] के आंकड़ों के...
More »धरती कहे पुकार के
ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...
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