SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1603

प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम पर किसानों से लूट, उतना पैसा दिया नहीं जितना ले लिया

-न्यूजक्लिक, भारत को किसानों का देश कहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में 13 जनवरी 2016 से एक नई योजना ''प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)'' के नाम पर शुरू की थी. इसे उन्होंने सभी किसानों के लिए बाध्यकारी भी बनाया। अगर इस योजना की पृष्ठभूमि पर गौर करें, तो साफ समझ में आता है, कि निजी बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाना ही इस योजना का मुख्य उद्देश्य था। प्रधानमंत्री ने...

More »

क्या श्रमिकों का फैक्ट्रियों से खेतों में बड़ी संख्या में पलायन ‘विकास’ की गाड़ी का उल्टी दिशा में जाना है

-द वायर, 2018-19 में कुल रोजगार में कृषि की हिस्सेदारी 42.5 फीसदी से 2019-20 में नाटकीय ढंग से बढ़कर 45.6 फीसदी हो गई. कुल रोजगार में कृषि की भागीदारी में यह इजाफा भारतीय अर्थव्यवस्था के एक चिंताजनक पहलू को दिखाता है. यह बढ़ोतरी उद्योग या सेवा क्षेत्र से कृषि में श्रमिकों की एक असामान्य बड़ी गतिशीलता की संकेतक हो सकती है. वास्तविक रोजगार की स्थिति के लिए भिन्न-भिन्न मापकों- काफी सख्त से ज्यादा उदार...

More »

आज़ादी@75: आंदोलन के 74 बरस और नई उम्मीद और नया रास्ता दिखाता किसान आंदोलन

-न्यूजक्लिक,  आज जब हम अपनी आजादी की 74वीं वर्षगांठ और 75वां दिवस मना रहे हैं, संविधान सभा के अंतिम भाषण में डॉ. आंबेडकर द्वारा दी गयी चेतावनी बेहद प्रासंगिक है जिसमें उन्होंने  कहा था कि देश एक अन्तरविरोधों भरे दौर में प्रवेश कर रहा है, हम एक राजनीतिक लोकतंत्र तो बन गए लेकिन सामाजिक लोकतंत्र कायम न हुआ तो यह राजनीतिक लोकतंत्र भी खतरे में पड़ जायेगा। इन 74 वर्षों में देश...

More »

भारत की जेलों में कैद औरतों की अनकही कहानियां

-जनपथ, सावित्री को जेल में छह साल हो गये हैं। जमानत तो नहीं हुई, केस भी जाने कब खतम हो। पति के अत्याचारों से तंग आने पर एक दिन हाथापाई में उसकी हत्या हो गयी। अब मायके और ससुराल वालों के साथ ही बच्चे भी पिता की हत्यारिन मानकर उसकी सुध नहीं लेते हैं। रामरति से उसके अपनों ने भी इसलिए मुंह फेर लिया कि पति और ससुराल वालों के अत्याचारों...

More »

भारत में बेतहाशा फैलती जा रही है ग़रीबी!

-न्यूजक्लिक, मीडिया के प्रचार के दम पर चल रही मोदी सरकार ने बड़े लंबे समय से गरीबी के आंकड़े जारी नहीं किए हैं। इस पर मीडिया वाले कभी सवाल भी खड़ा नहीं करते हैं। अगर सवाल खड़ा करते तो जिस तरह से चौक चौराहों पर 135 करोड़ वाले देश में ओलंपिक में गिरकर 5 मेडल न मिल पाने पर चर्चा हो रही है ठीक उसी तरह गरीबी पर भी चर्चा होती।...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close