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बिहार: बाढ़़ प्रभावित इलाकों में कैसे होगा पंचायत का चुनाव; कैसी हैं चुनाव आयोग की तैयारियां

-न्यूजक्लिक, बिहार के अधिकतर गांवों के लोग मुखिया और सरपंची के चुनाव की तैयारी में लगें हुए हैं। वहीं दरभंगा के पूर्वी प्रखंड में पानी से घिरे गांवों में लोग बोट, राहत शिविर और सामुदायिक रसोई के भरोसे अपनी जिंदगी को जीने की कश्मकश में लगे हुए हैं। कुशेश्वरस्थान के विजय यादव जो 68 साल के हैं, उन्होंने न्यूजक्लिक को बताया कि, “कुशेश्वरस्थान क्षेत्र को बाढ़़ के पानी का अघोषित ससुराल कहा...

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पेगासस में निर्वासित तिब्बती सरकार के अधिकारियों का नाम आने से भारत के प्रति बढ़ा संदेह

-कारवां, जुलाई में 17 अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने अपनी एक संयुक्त पड़ताल, जिसे उन्होंने पेगासस प्रोजेक्ट कहा है, में खुलासा किया कि इजराइली कंपनी एनएसओ द्वारा विकसित पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर के 50000 फोन नंबरों की जासूसी करने के लिए किया गया है. भारत में ऐसे लोगों की सूची में पत्रकार, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, नेता और एक पूर्व चुनाव आयुक्त शामिल हैं. लेकिन हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में एक और...

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पेगासस प्रोजेक्ट: अंतर्राष्ट्रीय खुलासे

-न्यूजक्लिक, नौ बहरीनी कार्यकर्ताओं के फोन नंबरों में एनएसओ स्पाईवेयर द्वारा छेड़छाड़ की गई है सिटीजन लैब, कनाडा में टोरंटो विश्वविद्यालय में स्थित एक अन्तर्विभागीय अनुसंधान प्रयोगशाला है, जिसने हाल ही में एक रिपोर्ट में इस तथ्य की पुष्टि की है कि देश के भीतर और बाहर नौ बहरीनी कार्यकर्ताओं के फोन पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल कर संक्रमित किये गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से कम से कम चार पीड़ित ऐसे...

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मोदी सरकार की 6 ट्रिलियन रु. की मौद्रीकरण योजना खतरों के बीच ख्वाब देखने जैसा क्यों है

-द प्रिंट, निजीकरण और ‘मौद्रीकरण’ में फर्क यह है कि निजीकरण में तो सरकार व्यवसाय से अलग हो जाती है, जबकि मौद्रीकरण सरकार को उसका सक्रिय खिलाड़ी बनाए रखता है. इस लिहाज से निजीकरण मौद्रीकरण से कहीं आसान है. फिर भी, निजीकरण के मामले में दुखद रिकॉर्ड (एअर इंडिया, भारत पेट्रोलियम आदि) रखने वाली और विनिवेश के लक्ष्य से कोसों पीछे रह गई सरकार मौद्रीकरण के जरिए चार साल में 6...

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क्यों खतरनाक बनती जा रही है यात्रियों के लिए उत्तराखंड की चार-धाम परियोजना

-इंडियास्पेंड, उत्तराखंड अभी चमोली के दर्दनाक हादसे से उभर ही रहा है कि बारिश का मौसम आते ही एक बार फिर प्रदेश के विभिन्न इलाकों से चट्टानें गिरने और भूस्खलन की ख़बरें बढ़ने लगी हैं। भूस्खलन की इन घटनाओं में अधिकतर उन इलाकों की हैं जहां पर चार-धाम परियोजना का काम शुरू किया गया था। चार-धाम परियोजना, जिसे पहले 'ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट' के नाम से जाना जाता था, की शुरुआत उत्तराखंड में चार...

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