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एक्शनएड सर्वे: लॉकडाउन लागू होने के बाद तीन-चौथाई से अधिक श्रमिक अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे

एक्शनएड एसोसिएशन (एएए) द्वारा मई 2020 के आखिर तक तीसरे चरण के लॉकडाउन में राष्ट्रीय स्तर पर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर श्रमिकों के बीच सर्वेक्षण (14 मई और 22 मई, 2020 के बीच) किया है, जिसमें महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों सहित अनौपचारिक श्रमिकों के जीवन और आजीविका में आए बदलावों और प्रभावों, उनके द्वारा अनुभव की गई रोजी-रोटी की अनिश्चितता और उससे निपटने के लिए उनके संघर्षों को दर्ज किया...

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अप्रैल से लेकर अब तक 83 लाख से अधिक नए मनरेगा कार्ड जारी, सात सालों में सर्वाधिक बढ़ोतरी: रिपोर्ट

-द वायर, मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 के शुरुआती पांच महीनों (अप्रैल से सितंबर) के दौरान 83 लाख से अधिक नए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कार्ड जारी किए गए हैं. एक अप्रैल से तीन सितंबर तक की यह संख्या (83.02 लाख नए कार्ड) बीते सात सालों में हुई वार्षिक बढ़ोतरी से अधिक है, जिसके आंकड़े मनरेगा पोर्टल पर उपलब्ध है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2014-15 में...

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यूपी: लॉकडाउन में तंगी झेल रहे परिवारों पर बढ़ा एक और आर्थिक बोझ, 40 आईटीआई कॉलेजों की फीस 50 गुना तक बढ़ी

-गांव कनेक्शन, - उत्तर प्रदेश में अब 40 राजकीय औद्योगिक संस्थान (आईटीआई) निजीकरण की भेंट चढ़ गए हैं। यह निजीकरण दो चरणों में होगा। पहले चरण में 16 और दूसरे में 24 आईटीआई निजीकरण के हवाले किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश में निजी आईटीआई संस्थानों की संख्या सरकारी संस्थानों से 10 गुना अधिक है। इस फैसले के बाद यह संख्या और भी अधिक हो जाएगी। इसी के साथ नए सत्र 2020 -21...

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‘सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं को मरने के लिए छोड़ दिया है, क्या वे देश की नागरिक नहीं हैं’

-द वायर, देश में कोरोना महामारी के जोखिम के बीच शहरों से लेकर दूरदराज के गांवों तक घर-घर जाकर आंकड़े जुटाने का काम कर रहीं मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता यानी आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार की भेदभावकारी नीतियों के खिलाफ बिगुल बजा दिया है. सरकारी नीतियों से खफा इन आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी कुछ मांगों के साथ बीते नौ अगस्त को दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन भी किया था, जिसके...

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“सरकार को डब्ल्यूएचओ की चिंता है, जबकि उसकी वजह से हमारे घर गिरे”

-न्यूजलॉन्ड्री, “झुग्गी-झोपड़ी वालों को इंसान ही ना समझ रहे, बताओ हम कहां जांएगे...अब कहां है मोदी और केजरीवाल, जो झुग्गीवालों को पक्के मकान देने के वादे कर रहे थे. ये सब डब्ल्यूएचओ का करा-धरा है, और कोई भी इसके खिलाफ बोल ना रहा. हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जब तक हमारी तरफ काम नहीं शुरू होगा इनका काम भी हम नहीं होने देंगे.” ये आरोप बुधवार को आईटीओ के पास अन्ना नगर...

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