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फिर अहम होता व्यवस्था परिवर्तन का मुद्दा- प्रो आनंद कुमार

आज देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ और व्यवस्था परिवर्तन की बात फिर चल रही है. लेकिन, जब कभी इस तरह के आंदोलनों की बात छिड़ती है, तो बरबस लोकनायक जयप्रकाश नारायण का चेहरा व चिंतन हमारे जेहन में आता है. अमूमन जेपी की शख्सीयत को सत्तर के दशक में उनके द्वारा दिये गये संपूर्ण क्रांति के नारे में ही समेटने की कोशिश होती है. सच यह है कि जेपी ने इस देश...

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मुखिया को ठेकेदार मत बनाइए- टी आर रघुनंदन

इन दिनों देश के प्रशासनिक ढांचे में आमूल-चूल बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है. सैद्धांतिक रूप से यह मान लिया गया है कि प्रशासन का ब्रिटिश ढांचा भारतीय परिस्थिति में नहीं सफल हो रहा. महात्मा गांधी ने जो गांवों के सरकार की कल्पना की थी वही देश को ढंग से चलाने का कारगर तरीका हो सकता है. इसके लिए कई सालों से विकेंद्रीकरण की कोशिशें की जा रही...

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मुखिया को ठेकेदार मत बनाइए- टी आर रघुनंदन से प्रभात खबर के पुष्यमित्र की बातचीत

इन दिनों देश के प्रशासनिक ढांचे में आमूल-चूल बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है. सैद्धांतिक रूप से यह मान लिया गया है कि प्रशासन का ब्रिटिश ढांचा भारतीय परिस्थिति में नहीं सफल हो रहा. महात्मा गांधी ने जो गांवों के सरकार की कल्पना की थी वही देश को ढंग से चलाने का कारगर तरीका हो सकता है. इसके लिए कई सालों से विकेंद्रीकरण की कोशिशें की जा रही...

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अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे जंगल

नयी दिल्ली : दुनिया के करीब सात अरब लोगों को प्राणवायु ( ऑक्सीजन ) प्रदान करनेवाले जंगल आज खुद अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यदि जल्द ही इन्हें बचाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाये गये तो ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं विकराल रूप ले लेंगी. पटना में लंबे समय से जंगलों को बचाने के लिए काम कर रही संस्था तरूमित्र के प्रमुख फ़ादर राबर्ट ने बताया...

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पूंजी के प्रतीकों पर प्रश्नचिह्न् : केविन रैफर्टी

जरूरत है.. जरूरत है.. जरूरत है.. 60 करोड़ नए जॉब्स की जरूरत है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आईएलओ) की जनवरी 2012 की रिपोर्ट की यह हैडलाइन पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी की तरह है। रिपोर्ट कहती है कि अगले एक दशक में 60 करोड़ नए उत्पादक जॉब सृजित करने की आसन्न चुनौती का सामना करने के लिए दुनिया को अब कमर कस लेनी चाहिए। प्रेस और बीबीसी ने इस...

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