कुछ अपवादों को छोड़ दें तो महत्वाकांक्षी सांसद आदर्श ग्राम योजना अंततः कुल मिलाकर विफल हो गयी. ऐसा इस बात के बावजूद हुआ कि इस देश में करीब-करीब हर राज्य में केंद्र और राज्य सरकार की करीब सवा दो सौ विकास और कल्याण की योजनाएं चलती हैं. केंद्र सरकार ने फैसला किया था कि इन्हीं योजनाओं के पैसों से गांवों को आदर्श बनाया जायेगा. पर, ये पैसे इस...
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गोरखालैंड की सियासत-- रशीद किदवई
दार्जीलिंग की सड़कों पर अंगरेजी और नेपाली में लगाये जा रहे हैं- 'वी वांट गोरखालैंड. गोरखालैंड-गोरखालैंड. गोरखालैंड चाहिन छ. चाहिन छ-चाहिन छ. हामरौ मांग गोरखालैंड.' इन्हीं नारों के बीच पश्चिम बंगाल इन दिनों गोरखालैंड की आग में जल रहा है. दरअसल, इस हिंसा और आगजनी के पीछे भाषाई राज्य की कल्पना है जिसने एक आंदोलन का रूप ले लिया है. पिछले सौ वर्षों से जारी गोरखालैंड की मांग को खुद...
More »अकथ कहानी खेत की-- राकेश दीवान
जून महीने के बीस दिनों में हुर्इं चालीस से अधिक किसानों की आत्महत्याओं का किसी के पास कोई जवाब नहीं है। किसान आंदोलन से निपटने के लिए सरकार को ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य' पर केवल तुअर, मूंग और उड़द खरीदने और आठ रुपए किलो में प्याज खरीदने और फिर भंडारण की कमी के चलते सड़ाने की तजवीज भर नजर आई। आज भी किसानी ‘अन-स्किल्ड' यानी अकुशल श्रम भर मानी जाती है...
More »बैंकों के विलय पर टिकी उम्मीद-- सतीश सिंह
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय का मन बना लिया है। इसलिए उसने नीति आयोग से इस मसले पर अनुशंसाएं आमंत्रित की हैं और रिजर्व बैंक को भी इस संबंध मेंसुझाव देने के लिए कहा है। वर्तमान में सरकार चार बड़े और छह छोटे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय करना चाहती है। चिह्नित किए गए छह छोटे बैंकों में यूनाइटेड बैंक आॅफ इंडिया, यूको बैंक, यूनियन बैंक...
More »कर्जमाफी नहीं है समाधान -- देविंदर शर्मा
इस हफ्ते की शुरुआत मध्य प्रदेश के 42 वर्षीय किसान रमेश बसेने की आत्महत्या के साथ हुई। हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर में बताया गया था कि उस पर 25,000 रुपये का कर्ज था। कुछ ही हफ्ते पहले महाराष्ट्र के एक किसान की 21 वर्षीया बेटी शीतल व्यंकट की आत्महत्या की भी दुखद खबर आई थी। अपनी शादी के लिए पैसे के इंतजाम को लेकर पिता की परेशानी उससे...
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