आज कच्चे तेल की कीमतों के गिरने पर दुनिया इस चिंता में दुबली हुई जा रही है कि इसका आर्थिक विकास पर कितना बुरा असर पड़ेगा। हालांकि कच्चे तेल के मामले में पूरी तरह आयात पर निर्भर भारत इस परिस्थिति पर न तो खुश होता दिखता है, और न ही दुखी। दरअसल, भारतीय नीति-नियंता उन कीमतों को नहीं भूल पाए हैं, जो उन्हें तेज वृद्धि के दौरान चुकानी पड़ी थी। उनका...
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ताकि देश सेहतमंद रहे- डा. के के तलवार
स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार द्वारा कई स्तर पर सुधार करने और वित्तीय सहयोग देने की जरूरत है। इस क्षेत्र की आवश्यकताओं के बारे में बता रहे हैं चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. के के तलवार कित्सा के क्षेत्र में भारत के पास काफी जहीन डॉक्टर हैं। आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस अनेक अस्पतालों ने भारत को मेडिकल टूरिज्म का एक आकर्षक केंद्र बनाया है, क्योंकि यहां दुनिया भर के...
More »महिला दिवस की सार्थकता- वीना श्रीवास्तव
हमारे देश में पूरे वर्ष हम चाहे कुछ ना करें, लेकिन किसी ‘खास दिवस' पर ढोल जरूर पीटते हैं. हम जिसके लिए खास दिवस मनाते हैं, पूरे वर्ष उसकी धज्जियां ही क्यों ना उड़ाते रहे हों, मगर खास दिन को ‘शो ऑफ' करना नहीं भूलते. ‘फादर्स डे', ‘मदर्स डे' पर मां-पिता को विश करना और पूरे वर्ष उन्हें जली-कटी सुनाना हमारी आदत है. इसी तरह महिला दिवस भी है. हर...
More »इंडिया नहीं, भारत का बजट-- अनुपम त्रिवेदी
मोदी सरकार के तीसरे बजट पर मध्यम-वर्ग की प्रतिक्रिया तीखी रही है. न आयकर छूट की सीमा में बढ़ोत्तरी हुई, न बढ़ते दामों से राहत मिली, बल्कि सेवाकर में बढ़ोत्तरी ने एनडीए सरकार के सबसे बड़े समर्थक मिडिल क्लास को जैसे विपक्षी दलों के साथ ले जाकर खड़ा कर दिया है. महंगी कारें, महंगा सोना, महंगे होटल और कर्मचारी भविष्य निधि (इपीएफ) की निकासी पर लगाये गये कर से चमकती...
More »जरूरी है किसानों की आय बढ़ाना --- देविन्दर शर्मा
भारत के 17 राज्यों में खेती से एक किसान की औसत आय 20 हजार रुपये सालाना है. इसमें उत्पादन का वह अंश भी शामिल है जिसे वह पारिवारिक उपभोग के लिए रखता है. दूसरे शब्दों में, इन राज्यों में किसान की औसत मासिक आय महज 1,666 रुपये है. जी हां, आपने सही पढ़ा. महज 1,666 रुपये. इस तस्वीर में आप खुद को रख कर देखें. अगर आप किसान होते और...
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