डॉ. अमरनाथ गोस्वामी, ग्वालियर(मध्यप्रदेश)। हर सीजन में बीजों की सैंपलिंग में लेट-लतीफी और जांच में लगने वाले लंबे समय के कारण यह पूरी प्रक्रिया कागजी कवायद बन कर रह गई है। बीज परीक्षण प्रयोगशाला में जब तक इस बात का खुलासा हो पाता है कि बेचा गया बीज अमानक था तब तक किसान के खेतों में फसल पकने की स्थिति में आ चुकी होती है। ग्वालियर स्थित मध्यप्रदेश की इकलौती बीज...
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एक साल में 41 फीसदी महंगी हुई दालें: सरकार
नई दिल्ली। पिछले एक साल के दौरान रिटेल मार्केट में दालों के भाव 41 प्रतिशत तक बढ़ गए। फसलों के प्रतिकूल मौसम के कारण उत्पादन में गिरावट इसकी वजह रही। सरकार की ओर से शुक्रवार को संसद में यह जानकारी दी गई। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा, 'पिछले एक साल में प्रमुख दालों के भाव 12.63 फीसदी से लेकर 40.73 प्रतिशत...
More »किसान आत्महत्या का अधूरा सच- देविन्दर शर्मा
गुलाबी तस्वीर पेश करने की तमाम कोशिशों के बावजूद राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के किसान आत्महत्या संबंधी 2014 के आंकड़े कृषि के स्याह पक्ष को ही सामने लाते हैं। वर्ष 2014 में 12,360 किसानों की आत्महत्या का सीधा अर्थ है कि हर 42 मिनट में देश में एक किसान ने आत्महत्या की। हालांकि एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े को दो श्रेणियों-किसानों एवं कृषि मजदूरों, में बांटने का साहसिक...
More »आत्महत्याएं कभी झूठ नहीं बोलतीं!- चंदन श्रीवास्तव
पुराने समय में ‘कागद की लेखी' और ‘आंखिन की देखी' के बीच अकसर एक झगड़ा रहता था. कागद की कोई लिखाई जिंदगी की सच्चाई से मेल ना खाये, तो फिर कबीर सरीखा कोई ‘मति का धीर' पोथी में समाये ज्ञान से इनकार भी कर देता था. यह अघट तो आधुनिक समय में घटा कि प्रत्यक्ष को मानुष पर और मानुष को आवेगों पर निर्भर मान कर शंका के काबिल मान...
More »बाज आएं जातिवाद की सियासत से- संजय गुप्त
जातिगत जनगणना के आंकड़ों की आड़ में हो रही राजनीति के बीच केंद्रीय वित्तमंत्री ने यह स्पष्ट करके अच्छा किया कि राज्यों को ये आंकड़े पहले ही भेजे जा चुके हैं और वे जातियों-उपजातियों, गोत्रों आदि के असमंजस को दूर कर दें तो फिर तर्कसंगत वर्गीकरण का काम शुरू हो। यह काम 'नीति आयोग" की एक समिति करेगी और फिर जातिवार आंकड़ों को देश के सामने लाया जाएगा। 2011 की जनगणना...
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