कुपोषण के बारे में अक्सर मान लिया जाता है कि यह तो गरीब राज्यों का लक्षण है और अपेक्षाकृत समृद्ध राज्य कुपोषण को मिटाने की राह पर हैं। लेकिन सच्चाई इसके उलट है। कुपोषण की शिकार महिलाओं और औसत से कम वजन के बच्चों की एक बड़ी तादाद धनी माने जाने वाले राज्यों में मौजूद है और ध्यान रहे कि इन दोनों को मानव-विकास के निर्देशांक में बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता...
More »SEARCH RESULT
सूखा राहत नहीं, कैश स्कीम शुरू करें केंद्र सरकार
दो बार लगातार सूखा पड़ने और उसमें हजारों लोगों की जान जाने के बाद मैंने साल 1965 में पत्रकारिता में प्रवेश किया। सूखे की स्थिति उस समय इतनी भयावह थी कि भारत को अमेरिका के सामने मदद के लिए हाथ फैलाना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय खाद्य मदद में उस समय भारत की भागीदारी इतनी अधिक थी कि उस समय सबसे अधिक बिकने वाली एक किताब में दावा किया गया कि भारत को...
More »भूख का बढ़ता भूगोल
भारत में जब से आर्थिक उदारीकरण आया है, एक अद्भुत विरोधाभास उदारवादियों में देखने को मिला है। जहां भारत में कई जगह अभ्युदय हो रहा है। वहीं हालात 20 साल से ज्यादा खराब होते गए हैं। खासकर लोगों की खुराक कम हुई है। सिर्फ जिंदा रहने के लिए लोग इस देश में भोजन ग्रहण कर रहे हैं और इसका मूल कारण जनसंख्या का बढ़ना नहीं है, जैसा कि अनुमान लगाया...
More »भटिण्डा के पानी में यूरेनियम, रेडियम और रेडॉन
पंजाब के मालवा इलाके के भटिण्डा जिले और इसके आसपास का इलाका "कॉटन बेल्ट" के रूप में जाना जाता है, तथा राज्य के उर्वरक और कीटनाशकों की कुल खपत का 80% प्रतिशत इसी क्षेत्र में जाता है। पिछले कुछ वर्षों से इस इलाके में कैंसर से होने वाली मौतों तथा अत्यधिक कृषि ॠण के कारण किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आते रहे हैं। इस इलाके के लगभग 93% किसान...
More »भुखमरी-एक आकलन
खास बात - साल 1990 में भारत का जीएचआई अंक 32.6 था, साल 1995 में यह अंक 27.1, साल 2000 में 24.8, साल 2005 में 24.0 तथा साल 2013 में 21.3 था। साल 2013 में भारत का जीएचआई अंक(21.3) चीन (5.5), श्रीलंका (15.6), नेपाल (17.3), पाकिस्तान (19.3) और बांग्लादेश (19.4) से बदतर है।@ -साल १९८३ में देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी उपभोग २३०९ किलो कैलोरी का था जो साल १९९८ में घटकर २०१०...
More »