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कोई गुलाम योद्धा यह ना पूछे- क्यों युद्ध हारे( दैनिक जागरण, रांची संस्करण)

बीहड़ों में बागी होते हैं, डाकू तो पार्लियामेंट में होते हैं। फिल्म पान सिंह तोमर का यह डायलॉग सबकी जुबान पर है। आठ बार नेशनल चैंपियन रह चुके एथलीट पान सिंह तोमर सरकारी व्यवस्था में घिसकर अंतत: हथियार उठा लेता है और चंबल के बीहड़ों का कुख्यात डकैत बन जाता है। पलामू में 2001 में एक नक्सली श्याम बिहारी उर्फ विनय जी उर्फ सलीम ने आत्मसमर्पण किया था। उसे...

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केंद्र कपास निर्यात पर रोक फौरन हटाये : मुख्यमंत्री

मुंबई. केंद्र सरकार द्वारा कपास के निर्यात पर रोक लगाये जाने का मुद्दा महाराष्ट्र में गरमाने लगा है। विदर्भ और मराठवाड़ा में इस निर्णय के विरोध में किसानों द्वारा आंदोलन शुरू किये जाने से सकते में आई महाराष्ट्र सरकार ने प्रधानमंत्री से कपास निर्यात पर लगी रोक को फौरन हटाने की मांग की है। मंत्रिमंडल की बैठक में हुई चर्चा : कपास उत्पादक किसानों के आक्रामक तेवर के मद्देनजर बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक...

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जल की जमींदारी- राजकुमार सोनी(तहलका)

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 40 किलोमीटर दूर दुर्ग जिले के गांव महमरा के बाशिंदे आज भी इस बात को सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते कि सदियों से उनकी जीवनरेखा रही शिवनाथ नदी पर अब उनका पहले जैसा अधिकार नहीं रहा. यहां के एक ग्रामीण साधुराम बताते हैं, 'हमें तो अब नदी की तरफ जाने में ही डर लगता है कि कोई कुछ कह न दे.' दरअसल शिवनाथ छत्तीसगढ़ की...

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बुनकरों को मिलेगी क्रेडिट कार्ड, पेंशन सुविधा

कामठी//नागपुर. महाराष्ट्र शासन द्वारा कामठी के हाथकरघा बुनकरों को क्रेडिट कार्ड देने की योजना के अंतर्गत कामठी की सहकारी संस्थाओं की सभी चालू माग धारक बुनकरों को राज्य सरकार की ओर से प्रति बुनकर 25 हजार रुपए से लेकर 2 लाख रुपए तक का क्रेडिट कार्ड देना तय किया गया है। ग्रीन सिटी हातमाग विणकर सहकारी संस्था के कार्यालय में बुनकर क्रेडिट कार्ड की जानकारी देने हेतु एक कार्यक्रम का...

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राहत शिविर या शामत शिविर!- राजकुमार सोनी(तहलका)

वे गांव लौटे तो नक्सलवादियों का निशाना बन जाएंगे और यदि राहत शिविरों में रहते हैं तो उन्हें अमानवीय परिस्थितियों के बीच ही बाकी जिंदगी गुजारनी पड़ेगी. सलवा जुडूम अभियान के दौरान बस्तर के राहत शिविरों में रहने आए हजारों ग्रामीण आदिवासी आज त्रिशंकु जैसी स्थिति में फंसे हैं. राजकुमार सोनी की रिपोर्ट कोतरापाल गांव की प्रमिला कभी 15 एकड़ खेत की मालकिन थी, लेकिन गत छह साल से वह अपने...

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