-द प्रिंट, इस सप्ताह के शुरू में जो आंकड़े जारी किए गए वे जीएसटी के मद में अगस्त माह में हुई आय में गिरावट दर्शाते हैं. टैक्स से होने वाली आय में कमी का अनुमान लगाया भी जा रहा था. भारत में कोविड-19 के हमले के बाद लागू किए गए लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप हो गई थीं. नतीजतन, उत्पादन में कमी और इसके चलते टैक्स में गिरावट होनी...
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उजमा बैठक और किसान चैंबर्स आफ कॉमर्स ने पारित किए 15 प्रस्ताव, सभी प्रकार की फसलों पर एमएसपी की मांग
-आउटलुक, भारत सरकार द्वारा लाये गए तीन नए कृषि अध्यादेशों के अवलोकन के लिए उजमा बैठक ने किसान चैंबर ऑफ कॉमर्स के सहयोग से ऑनलाइन कांफ्रेंस की। इस दौरान देश-विदेश के कृषि एक्सपर्ट्स, अर्थशास्त्री, साइंटिफिक और कानून एक्सपर्ट्स, कृषि समाज के कार्यकर्ता और खाप प्रतिनिधियों ने 15 प्रस्ताव पास किए। प्रस्ताव में कहा गया कि मंडी हो या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग, फसल का एम.एस.पी. हर सूरत में सुनिश्चित रखा जाए। किसी भी उपज...
More »पैकेज बिना सब सूना
-आउटलुक, “मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार दूसरा राहत पैकेज कोरोना का वैक्सीन आने के बाद, लेकिन पैकेज को अनिश्चितता से जोड़ना कितना उचित” विक्रम देकाते की औरंगाबाद में डेक्सन कास्टिंग नाम की कंपनी है, जो दोपहिया वाहनों के लिए एल्युमिनियम कास्टिंग करती है। उन्होंने प्रॉपर्टी के एवज में एक एनबीएफसी से कर्ज ले रखा था। लॉकडाउन के दौरान कैशफ्लो घट गया तो इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत वर्किंग कैपिटल लोन...
More »छत्तीसगढ़ः पर्यावरण संरक्षण में जुटे वीरेंद्र, 35 तालाब, एक नदी और 2 कुंड किए स्वच्छ
-इंडिया वाटर पोर्टल, छत्तीसगढ़ का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक आदिवासी राज्य की छवि बनती है, जो विकास की दौड़ में शामिल होने के लिए संघर्ष कर रहा है, लेकिन इसी छत्तीसगढ़ में सैंकड़ों मीलों तक जंगल का इलाका फैला है, जो इस राज्य को प्राकृतिक संपदाओं से समृद्ध राज्य बनाता है। यहां सैंकड़ों नदी, तालाब और झरने आदि सहित विभिन्न जलस्रोत इंसानों सहित विभन्न जीव-जंतुओं की प्यास...
More »भारत के युवाओं के लिए रोज़गार की राह हुई और मुश्किल
-बीबीसी, कोरोना के आने से पहले भी दुनिया भर में यह बहुत बड़ा सवाल था कि आनेवाले दिनों में रोज़गार कैसे मिलेगा, कहाँ मिलेगा और किस किसको मिलेगा? अर्थशास्त्र में नोबल पुरस्कार पानेवाले दंपती अभिजीत बनर्जी और एस्टर डूफलो तो तभी कह चुके थे कि अब दुनिया भर की सरकारों को अपनी बड़ी आबादी को सहारा देने का इंतज़ाम करना पड़ेगा, क्योंकि सबके लिए रोज़गार नहीं रह पाएगा. बड़ी बहस इस बात पर...
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