सत्य अनुभव की चीज है, तथ्य आकलन की. तथ्य यह है कि भारत के भीतर एक वंचित भारत रहता है और सत्य यह कि इस वंचित भारत का निर्माण उसे जीवन जीने के लिए जरूरी बुनियादी सेवाओं-सुविधाओं से बेदखल करके हुआ है. बुनियादी सेवा-सुविधाओं से बेदखली के विराट आयोजन का ही नतीजा है कि इस मामले में देश के कुछ समुदाय शेष की तुलना में कोसों पीछे हैं. मिसाल के...
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संपादकीय : विकास बनाम विस्थापन
गुजरात में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने को मिली हरी झंडी निश्चित ही देश में बदले राजनीतिक माहौल का नतीजा है। 2006 में नरेंद्र मोदी ने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर इस परियोजना को पूरी मंजूरी दिलाने के लिए 51 घंटों का उपवास किया था। अब वे प्रधानमंत्री हैं तो नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) ने बांध की ऊंचाई 121.9 मीटर से बढ़ाकर 138.7 मीटर करने की इजाजत दे...
More »और अनिष्ट की आशंका- रतनदीप चौधरी
आठ साल की साजिदा इतनी डरी हुई है कि हम उससे बात करें, उससे पहले ही वह दौड़कर एक टेंट में छिप जाती है. यह टेंट उस राहत शिविर का हिस्सा है जो असम के बक्सा जिले में बेकी नदी के किनारे एक जगह पर लगाया गया है. साजिदा यहां अपने अब्बा और एक बहन के साथ रह रही है. उसकी मां और एक छोटी बहन दो मई को इलाके...
More »नए प्रधानमंत्री से उम्मीदें- नीलांजन मुखोपाध्याय
उम्र में मेरे ताऊ जी के बेटे मुझसे कुछ साल बड़े हैं और अमेरिका में रहते हैं। छुट्टियों और पारिवारिक समारोहों के अलावा वह कभी यहां नहीं आते, क्योंकि वह अमेरिकी सपनों में जीने वाले व्यक्ति हैं। हम दोनों लगातार संपर्क में रहते हैं, बेशक कई मुद्दों पर हम एकमत नहीं हैं। कुछ दिनों पहले मेरे पास उनका एक ई-मेल आया। भारत के चुनावी नतीजे पर वह गद्गद थे। उन्होंने लिखा,...
More »जातीय विद्वेष की जड़ें- विनोद कुमार
जनसत्ता 16 मई, 2014 : असम की जातीय हिंसा पर कोई सार्थक बातचीत या चर्चा शुरूकरने का खतरा यह है कि कहीं आप अल्पसंख्यक विरोधी करार न दे दिए जाएं। वह भी उस वक्त जब असम में जातीय हिंसा में लोगों के मरने का सिलसिला साल दर साल बढ़ता गया है। ताजा हिंसा इत्तिफाक से मोदी के उस दौरे के तुरंत बाद शुरूहुई, जिसमें उन्होंने घुसपैठियों को देश से निकाल...
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