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प्रकृति और पर्यावरण के लिए क्या महत्व रखता है आदिवासियों का सरना धर्म

-न्यूजलॉन्ड्री, देश में लंबे समय से आदिवासी समाज अपनी अलग धार्मिक पहचान की मांग करता आया है. झारखंड इस मांग का केंद्र रहा है और हाल के दिनों में यहां इस मांग ने जोर भी पकड़ा है. यही वजह है कि झारखंड के गठन के बाद पहली बार राज्य सरकार आदिवासियों के लिए अलग से धर्मावलंबी यानी सरना आदिवासी धर्म कोड लाने के लिए तीन नवंबर 2020 को एक प्रस्ताव लेकर...

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क्या बाइडन भारत के लिए ट्रंप से बेहतर साबित होंगे?

-इंडिया टूडे, 'मुफ्त में कुछ भी नहीं’ एश्ले जे. टेलिस सीनियर फेलो, कार्नेगी एंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस, वाशिंगटन डीसी बाइडन पारंपरिक अमेरिकी राष्ट्रपति के सांचे में ढले होंगे. विदेश से जुड़़े हुए मामलों में अमेरिका की अगुआई के प्रति फिर प्रतिबद्धता, हमारे गठबंधनों में फिर निवेश और बहुपक्षीय संस्थाओं के साथ फिर जुड़ाव होगा. अमेरिका-भारत संबंध अच्छे मुकाम पर हैं और ट्रंप जहां छोड़कर गए हैं, नया बाइडन प्रशासन उसकी रक्षा करना चाहेगा और...

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यूएनईपी-आईएलआरआई रिपोर्ट: जूनोटिक रोगों के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए मानवीय गतिविधियों पर निगरानी जरूरी

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और इंटरनेशनल लाइवस्टोक रिसर्च इंस्टीट्यूट (ILRI) द्वारा 6 जुलाई (इस वर्ष विश्व भर में अनुसंधान संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा वर्ल्ड जूनोसेस डे के रूप में मनाया गया) को जारी की गई एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि मनुष्यों में 60 प्रतिशत ज्ञात संक्रामक रोगों की उत्पत्ति कहीं न कहीं एक जानवर से संबंधित रही है. इसी तरह, सभी नए और उभरते संक्रामक...

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अमेरिका के नए राष्ट्रपति के भारत के लिए मायने

-इंडिया टूडे, पिछले कुछ महीनों से मथे जा रहे इस सवाल का जवाब मिलने में ज्यादा वक्त नहीं रह गया हैः अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होगा-डोनॉल्ड ट्रंप या जो बाइडेन ? नजदीकी मुकाबले की भविष्यवाणी के बीच इंडस्ट्री और पॉलिसी के पर्यवेक्षक नजरें गड़ाए हुए हैं. अभी तक चुनाव पूर्व विश्लेषणों को देखा जाए तो वे डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बाइडेन के पक्ष में जाते दिखते हैं.   अमेरिका के चुनाव...

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अर्थातः सबसे बड़ी सेल, संपत्ति बेचकर राजस्व जुटाने के अलावा सरकार के पास कोई रास्ता नहीं बचा है

-इंडिया टूडे, गरज भारत सरकार की! मौका मोटी जेब वालों के लिए! माल चुनिंदा और शानदार! मंदी के मौके पर भारी डिस्काउंट. एक एयरलाइंस, आधा दर्जन एयरपोर्ट, तेल व गैस पाइपलाइन, बंदरगाहों पर टर्मिनल, रेलवे स्टेशन, ट्रेनें, हाइवे और रेलवे कॉरिडोर के हिस्से, बिजली ट्रांसमिशन लाइनें... बहुत कुछ बिकने वाला है. अफसरों की समितियां, नीति आयोग की मदद से बेचने के तौर तरीके तय करने में लगी हैं. मुहिम नतीजे तक पहुंची...

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